कोरोनाव के कारण इस बार मुहर्रम में ताजियों के दीदार से महरूम रह जाएंगे लोग
21 व 22 अगस्त से माह-ए-मुहर्रम की पहली तारीख हो गई लेकिन कोरोना की वजह से इस बार मुहर्रम की कोई तैयारी नहीं है। इसके चलते ताजिया का कारोबार भी ठंडा पड़ा है।
हल्द्वानी, जेएनएन : पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वस्ल्लम के नवासे हज़रत सैयदना इमाम हुसैन रजियल्लाहु अन्हु व कर्बाला के 72 शहीदों को माह-ए-मुहर्रम में शिद्दत से याद किया जाता है। यही कारण है कि मुहर्रम के दस दिन में अकीदंतमंद रोज़ा रखने के साथ ही इबादत करते हैं। वहीं, इस्लामी नया साल भी मुहर्रम से शुरू होता है।
21 व 22 अगस्त से माह-ए-मुहर्रम की पहली तारीख हो गई, लेकिन कोरोना की वजह से इस बार मुहर्रम की कोई तैयारी नहीं है। इसके चलते ताजिया का कारोबार भी ठंडा पड़ा है। वहीं, बनभूलपुरा के लाइन नंबर-12 में ढोल-ताशे की आवाज के साथ इंदिरा नगर से ताजियों का जुलूस पर कोरोना महामारी के चलते ब्रेक लगना तय माना जा रहा है। हालांकि स्थानीय लोगों को शहर के उलेमा व जिला प्रशासन की गाइडलाइन का इंतजार है।
ताजिया कारीगर इक़बाल क़ुरैशी ने बताया कि ईद के बाद से ताजिया बनाने काम शुरू हो जाता है। त्योहार शुरू होने से एक महीने पहले से आर्डर आना शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार अभी एक भी आर्डर नहीं मिला है। ताजिया कारीगर नफ़ीस अहमद का कहना है कि कोरोना महामारी का असर ताज़िये के कारोबार पर भी पड़ा है। हर साल लाखों का कारोबार ताजिया के माध्यम से हो जाता था।
इंदिरा नगर से उठता है मुहर्रम का जुलूस
ताजिया कमेटी के सदस्य अब्दुल ने बताया कि मुहर्रम के अशरा यानी आख़िरी दिन इंदिरा नगर से मुहर्रम का जुलूस निकलता है। जहां लाइन की ताजिया और ढोल ताशे के साथ सैकड़ों के संख्या में लोग दुआ पढ़ते हुए कर्बाला पहुंचते है।