पौड़ी संसदीय सीट में शामिल होना रामनगर के लोगों को अब नहीं आ रहा रास
नैनीताल जिले की रामनगर विधानसभा सीट को विषम भौगोलिक वाली पौड़ी संसदीय सीट में शामिल करने पर लोग सवाल उठाने लगे हैं। दूरस्थ क्षेत्र होने की वजह से सांसद नाममात्र ही रामनगर आ पाते हैं। ऐसे में सांसद से मिलने के लिए लोगों को काफी समय इंतजार करना पड़ता है।
रामनगर, जागरण संवाददाता : नैनीताल जिले की रामनगर विधानसभा सीट को विषम भौगोलिक वाली पौड़ी संसदीय सीट में शामिल करने पर लोग सवाल उठाने लगे हैं। दूरस्थ क्षेत्र होने की वजह से सांसद नाममात्र ही रामनगर आ पाते हैं। ऐसे में सांसद से मिलने के लिए लोगों को काफी समय इंतजार करना पड़ता है। रामनगर विधानसभा सीट वर्ष 2004 तक नैनीताल-उधमसिंहनगर संसदीय सीट में शामिल थी।
2004 के बाद परिसीमन के दौरान इस सीट को नैनीताल संसदीय सीट से हटाकर पौड़ी संसदीय सीट में शामिल कर दिया गया। उस समय किसी भी संगठन व राजनीतिक दल ने इस परिसीमन का विरोध नहीं किया। अब लोग इस परिसीमन को लेकर सवाल उठाने लगे हैं। लोगों का कहना है कि पौड़ी सीट के अंतर्गत गढ़वाल की 14 विधानसभा सीटें है, इसमें कुमाऊं की एकमात्र सीट रामनगर को ही जोड़ा गया है। पौड़ी संसदीय सीट का रामनगर अंतिम छोर है। ऐसे में सांसद विषम भौगोलिक परिस्थिति होने की वजह से रामनगर के लोगों को समय नहीं दे पाते हैं।
खुद सांसद तीरथ सिंह रावत चुनाव जीतने के बाद दो ही बार रामनगर आए हैं। इसके अलावा सांसद निधि के विकास कार्यों का लाभ भी रामनगर को नहीं मिल पाता है। रामनगर के समाजसेवी हरीश चंद्र सती ने बताया कि उनके द्वारा रामनगर सीट को नैनीताल में जोडऩे के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजा गया था। प्रधानमंत्री कार्यालय से पत्र उत्तराखंड शासन को भेजा गया था। इसके बाद उत्तराखंड के सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी मस्तू दास द्वारा सती को पत्र भेजकर परिसीमन आयोग के समक्ष सुझाव भेजने के लिए कहा गया था।
पौड़ी संसदीय सीट में शामिल विधानसभा
बदरीनाथ, थराली, कर्णप्रयाग, केदारनाथ, रूद्रप्रयाग, देवप्रयाग, नरेंद्रनगर, यमकेश्वर, पौड़ी, श्रीनगर, चौबट्टाखाल, लैंसडोन, कोटद्वार, रामनगर।
सांसद खंडूड़ी भी नहीं दे पाए समय
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पौड़ी संसदीय सीट से भुवन चंद्र खंडूड़ी सांसद थे। खंडूड़ी पांच साल के कार्यकाल में केवल चार पांच बार ही रामनगर आ पाए थे।