बार‍िश से बलियानाला के पास रहे रहे लोगों में दहशत, भूस्खलन में चली गई थी 28 लोगाों की जान

मानसून के दस्तक देते ही नैनीताल के बलियानाला के पास रहे रहे लोग फिर दहशत में आ गए हैं। पिछले साल यहां भारी भूस्खलन हुआ था!

By Edited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 07:43 AM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 08:29 AM (IST)
बार‍िश से बलियानाला के पास रहे रहे लोगों में दहशत, भूस्खलन में चली गई थी 28 लोगाों की जान
बार‍िश से बलियानाला के पास रहे रहे लोगों में दहशत, भूस्खलन में चली गई थी 28 लोगाों की जान

हल्द्वानी, जेएनएन : मानसून के दस्तक देते ही नैनीताल के बलियानाला के पास रहे रहे लोग फिर दहशत में आ गए हैं। पिछले साल यहां भारी भूस्खलन हुआ था, जिसके बाद प्रशासन ने ट्रीटमेंट प्लान तैयार किया था, लेकिन छह माह गुजर जाने ट्रीटमेंट शुरू हो पाया है। शहर की बसासत के बाद से ही बलियानाला शहर के लिए नासूर बना रहा है। 1867 में नैनी झील में पानी के ओवरफ्लो होने से मची तबाही ने ब्रिटिश हुक्मरानों को भी चिंता में डाल दिया था। भूस्खलन की रोकथाम को 1888 में पहली बार कमेटी बनाकर नाले के सतह को पक्का करने, किनारों पर दीवार निर्माण और झील के पानी की निकासी जैसे कार्य किए गए थे। इसके बावजूद भूस्खलन नहीं रुका। परिणामस्वरूप 1898 में हुए भूस्खलन ने बीरभट्टी क्षेत्र में भारी तबाही मचा दी थी। इस आपदा में 27 हिंदुस्तानियों और एक यूरोपियन को जान गंवानी पड़ी थी।

1972 में एक बार फिर पहाड़ी की रोकथाम की कवायद शुरू की गई थी। 1976 में नाले की सतह को मजबूती देने के लिए 95 लाख का ट्रीटमेंट प्लान बनाया गया था। इसे 1979 में शासन ने मंजूरी दी, मगर काम 2003 में शुरू हो पाया। रोकथाम के कार्य के बीच नाले में भूस्खलन आज भी जारी है। छह वर्षो में 98 परिवार विस्थापित, 138 भवन चिह्नित 2013 में भूस्खलन के बाद यहां के वाशिंदों को विस्थापित करने की कवायद शुरू की गई। ईओ अशोक वर्मा ने बताया कि 2014 में 28 परिवारों को दुर्गापुर स्थित पालिका आवासों में विस्थापित किया गया था। 2016 में 25 अन्य परिवारों को विस्थापित किया गया। 2018 में फिर भूस्खलन हुआ, जिसके बाद 45 परिवारों को विस्थापित किया गया।

बताया कि बीते वर्ष जायका की ओर से सर्वे कर संवेदनशील क्षेत्र को तीन जोन में बांटा गया है, जिसमें खतरे की जद में 138 भवन चिह्नित किए गए हैं। 620 करोड़ का प्रोजेक्ट बनाया, शासन से नहीं मिला बजट बीते वर्ष जिला प्रशासन ने पहाड़ी के स्थायी ट्रीटमेंट के लिए जीएसआइ, जायका की टीमों से सर्वे कराया था। जायका ने पहाड़ी के विभिन्न स्थानों के नमूने लिए और 620 करोड़ का ट्रीटमेंट प्लान बनाया। दिसंबर में मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने पहाड़ी का दौरा कर जल्द ट्रीटमेंट शुरू कराने का आश्वासन भी दिया, लेकिन छह माह गुजर जाने के बाद भी शासन से न बजट मिला और न ही ट्रीटमेंट शुरू हो पाया है।

बरसात में डर में कटती है हर रात

बलियानाला प्रभावित लोगों के लिए भूस्खलन नई बात नहीं है। लेकिन यहां के वाशिंदों की हर बरसात दहशत में बीतती है। कृष्णापुर वार्ड सभासद कैलाश रौतेला ने बताया कि ट्रीटमेंट प्लान तैयार करने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि जल्द काम शुरू होगा। लेकिन यह सपना बनकर ही रह गया है। एक ओर लोगों को उनके सिर से छत छिनने का भय है तो दूसरी ओर भूस्खलन से लोग हर रात डर में काटने को मजबूर हैं। वहीं डीएम सविन बंसल का कहना है कि बलियानाले के स्थायी ट्रीटमेंट के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। बजट के लिए लगातार शासन से पत्राचार भी जारी है। बजट मिलते ही ट्रीटमेंट शुरू किया जाएगा।

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