निजी अस्‍पतालों की हड़ताल से मरीजों की मुसबीत बढ़ी, एसटीएच में इलाज से मना किया

क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में निजी अस्पतालों के बंद होने का असर दिखने लगा है। सबसे अधिक दिक्कत इमरजेंसी को लेकर है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 18 Feb 2019 10:09 AM (IST) Updated:Mon, 18 Feb 2019 07:54 PM (IST)
निजी अस्‍पतालों की हड़ताल से मरीजों की मुसबीत बढ़ी, एसटीएच में इलाज से मना किया
निजी अस्‍पतालों की हड़ताल से मरीजों की मुसबीत बढ़ी, एसटीएच में इलाज से मना किया

हल्द्वानी, जेएनएन : क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में निजी अस्पतालों के बंद होने का असर दिखने लगा है। सबसे अधिक दिक्कत इमरजेंसी को लेकर है। सरकारी अस्पताल में न्यूरो, नेफ्रो, हार्ट से संबंधित इलाज नहीं होने की वजह से रविवार को 20 से अधिक मरीज बरेली, देहरादून, दिल्ली समेत अन्य शहरों को रेफर किए गए। वहीं, एसटीएच में एक बच्ची के इलाज कराने को लेकर परिजनों की इमरजेंसी में कार्यरत डॉक्टर से बहस हो गई।

दोपहर में महिला बच्ची को लेकर पहुंची। वहां पर कार्यरत मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने मरीज को सामान्य दवा लिखकर वापस भेज दिया। बच्ची की तबीयत अधिक खराब थी। परिजनों ने हल्ला मचाना शुरू कर दिया। इस पर मामला भड़क गया। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अरुण जोशी मौके पर पहुंच गए। इसके बाद मरीज की पर्ची बनाकर उपचार शुरू हुआ। साथ ही उन्होंने सीएमओ को इस तरह की हरकत के लिए नाराजगी भी जताई।

एसटीएच की इमरजेंसी में पहुंचे 125 मरीज

निजी चिकित्सालयों में बंदी की वजह से एसटीएच की इमरजेंसी में 125 मरीज पहुंचे, जो सामान्य से 40 मरीज अधिक हैं। इसके अलावा 28 नए मरीज भर्ती हुए।

सीईए में पंजीकरण कराने को सीएमओ ने किया फोन 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. भारती राणा ने आइएमए शहर अध्यक्ष डॉ. डीसी पंत से बात की और बंद की स्थिति के बारे में जाना। साथ ही सीईए में पंजीकरण कराने को कहा। प्रदेश स्तर की बैठक से लौटते हुए डॉ. पंत ने बताया कि एक्ट का पालन करना आसान नहीं है। इसलिए हमने खुद ही अस्पताल बंद किए हैं। जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी, अस्पताल बंद रहेंगे।

संतोषजनक वार्ता होने पर ही खत्म होगी हड़ताल: आइएमए

काशीपुर: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की प्रदेश स्तरीय बैठक में लीगल व एक्शन समिति गठित हुई। इस दौरान चिकित्सकों कहा कि सरकार से संतोषजनक वार्ता होने पर ही बेमियादी हड़ताल खत्म होगी।

आइएमए भवन कल्याणम में रविवार शाम हुई बैठक में वक्ताओं ने कहा कि क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट का विरोध किया तो सरकार ने एक्ट में संशोधन करने का भरोसा दिलाया था, मगर सरकार वादे पर खरा नहीं उतर सकी। मरीजों के लिहाज से एक्ट किसी तरह व्यावहारिक नहीं है। एक्ट का पालन होने पर पहले से बने निजी अस्पताल बंद हो जाएंगे। जबकि, सरकारी अस्पताल खुद एक्ट के मानक पूरे नहीं कर पा रहे हैं। कुछ दिन पहले सरकार से वार्ता हुई थी तो सरकार ने 20 जनवरी तक एक्ट में संशोधन कर कैबिनेट में पास करने को कहा था। बिल तो पास हुआ नहीं, उलटा निजी क्लीनिकों को सील करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आइएमए के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. बीएस जज ने कहा कि एक्ट के विरोध में अनिश्चितकालीन बंद जारी रहेगा। 20 सदस्यीय एक्शन कमेटी गठित की गई है, जो इस मामले में रणनीति तय करेगी। लीगल सेल का भी गठन हो रहा है। बैठक में राज्य के 180 डॉक्टरों में आइएमए सचिव डॉ. डीडी चौधरी, डॉ. अरङ्क्षवद शर्मा, डॉ. एके सिरोही, डॉ. एमपी ङ्क्षसह, डॉ. वीरेंद्र वर्मा, डॉ. वीके छाबड़ा, डॉ. रवि ङ्क्षसघल, डॉ. आरके ङ्क्षसघल, डॉ. दिनेश पंत, डॉ. आरए केडिया आदि मौजूद रहे।

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