नौकरी में वादाखिलाफी पर टूटा खत्याड़ी गांव के लोगों का धैर्य, पीएमएस के आश्वासन पर बमुश्किल शांत हुआ मामला

आरोप लगाया कि शासनादेश के तहत गांव के स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता के बजाय राजकीय मेडिकल कालेज के अधीन बेस चिकित्सालय में बैकडोर से अवैध नियुक्तियां की जा रही हैं। प्रमुख चिकित्साधीक्षक के आश्वासन पर लोग बमुश्किल शांत हुए।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 09:30 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 09:30 PM (IST)
नौकरी में वादाखिलाफी पर टूटा खत्याड़ी गांव के लोगों का धैर्य, पीएमएस के आश्वासन पर बमुश्किल शांत हुआ मामला
बेस अस्पताल की स्थापना को भूमि दान देने वाले ग्रामीणों के आश्रितों को योग्यतानुसार नियुक्ति की मांग उठाई।

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : पुनर्गठन पूर्व उत्तर प्रदेश सरकार के दौरान हुए समझौते पर मौजूदा उत्तराखंड सरकार के अमल न करने पर खत्याड़ी के बाशिंदों व पंचायत प्रतिनिधियों का धैर्य जवाब दे गया। बेस चिकित्सालय की स्थापना को भूमिदान देने वाले वाले ग्रामीणों के पक्ष में आठ और गांवों के प्रधान भी उतर आए। प्रदर्शन कर हंगामा काटा। हाईवे पर सांकेतिक जाम लगा शासन प्रशासन पर गुबार निकाला। आरोप लगाया कि शासनादेश के तहत गांव के स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता के बजाय राजकीय मेडिकल कालेज के अधीन बेस चिकित्सालय में बैकडोर से अवैध नियुक्तियां की जा रही हैं। प्रमुख चिकित्साधीक्षक के आश्वासन पर लोग बमुश्किल शांत हुए। मगर चेताया कि वादाखिलाफी पर जनांदोलन करेंगे। 

नगर से सटे खत्याड़ी गांव के लोग गुरुवार को सड़क पर उतर आए। मेडिकल कालेज के अधीन बेस चिकित्सालय में नियुक्तियों में धांधली का आरोप लगा आसपास के गांवों के मुखिया भी ग्रामीणों के साथ बेस चिकित्सालय के मुख्य गेट पर आ धमके। हाईवे पर सांकेतिक जाम लगाया। बेस अस्पताल की स्थापना को भूमि दान देने वाले ग्रामीणों के आश्रितों को योग्यतानुसार नियुक्ति की मांग उठाई। पूर्व प्रधान हरीश सिंह कनवाल ने कहा कि जीओ के उलट गांव के युवाओं की उपेक्षा बर्दास्त नहीं की जाएगी। 

ये है मामला 

90 के दशक में तत्कालीन उत्तरप्रदेश सरकार में अल्मोड़ा बेस चिकित्सालय का निर्माण हुआ था। खत्याड़ी गांव के बाशिंदों ने पहाड़ में सुविधा संपन्न चिकित्सालय खोले जाने की खुशी में अपनी उर्वर कृषि भूमि दान में दे दी थी। तब उप्र सरकार ने शासनादेश जारी किया था कि भूमिदान देने वाले परिवारों के आश्रितों को चिकित्सालय में योग्यतानुसार नौकरी दी जाएगी। मगर इस पर अमल न हो सका। गांव के मुखियाओं ने कई बार मुद्दा उठाया भी। पृथक उत्तराखंड राज्य बनने के बाद उम्मीद जगी थी कि सरकार कुछ कदम उठाएगी। मगर कोई पहल न हो सकी। अब मामला तूल पकड़ गया है। 

इन गांवों से पहुंचे प्रधान 

हरीश रावत बरसीमी, नवीन बिष्ट सरस्योंï, राजेंद्र बिष्टï मालगांव, हेम भंडारी रैखोली, विनोद लटवाल लाटगांव, राजेंद्र लटवाल देवली, अर्जन बिष्टï सैनार, विनोद कनवाल तलाड़। 

इन्होंने दिया धरना 

प्रधान राधा देवी, जिपं सदस्य नंदन आर्या, बीडीसी दीपा आर्या, सरपंच राजेंद्र कनवाल, देव सिंह, भूपेंद्र कनवाल, भूपेंद्र सिंह, कलावती देवी, उमा देवी, आंनदीदेवी, चंदन सिंह, संजय सिंह, पप्पू कनवाल, कुलदीप बोरा, दीपक कनवाल, कमलेश सिंह, रुकेश सिंह, संजय कनवाल, पान सिंह, मनीष कनवाल, सुंदर सिंह, तेज सिंह, नवल कनवाल, राहुल कनवाल, पंकज कनवाल, कमलेश कुमार, सचिन कनवाल, मनोज कनवाल, मनोज आर्या, महेंद्र लटवाल, अर्जुन आर्या, दीपक सिंह, ललित कनवाल आदि। 

पूर्व प्रधान हरीश कनवाल ने बताया कि हमारे बुजुर्गों ने पैतृक कृषि भूमि बेस चिकित्सालय को इसी उम्मीद से दान दी कि बच्चों को नौकरी मिलेगी। उप्र सरकार के जीओ में स्पष्टï है खत्याड़ी गांव के युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। लेकिन मेडिकल कालेज के अधीन होते ही अवैध रूप से नौकरियां दी जा रही हैं। यह बर्दास्त नहीं करेंगे।

डा. एचसी गड़कोटी का कहना है कि बीच बीच में नियुक्तियां की जा रही हैं। अक्टूबर में नई विज्ञप्ति निकाली जाएगी। इसमें योग्यता के अनुसार खत्याड़ी गांव के युवाओं को पूरी पारदर्शिता के साथ रोजगार दिलाया जाएगा।

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