Parshuram Jayanti 2021 : भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं परशुराम, पूजा से बढ़ता है साहस

भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम कलियुग में मौजूद हनुमानजी समेत आठ देवता और महापुरुषों में एक हैं। परशुराम का जन्म पुत्रेष्टि यज्ञ से हुआ था। भगवान शिव ने आशीर्वाद में परशु यानी फरसा दिया। इसी कारण इन्हें परशुराम के नाम से जाना जाता है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 07:33 AM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 07:33 AM (IST)
Parshuram Jayanti 2021 : भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं परशुराम, पूजा से बढ़ता है साहस
परशुराम की पूजा से साहस बढ़ता है और हर तरह का डर खत्म हो जाता है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: वैशाख शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन ही परशुराम की जयंती मनाई जाती है। इस बार ये पर्व 14 मई, शुक्रवार को रहेगा। भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम कलियुग में मौजूद हनुमानजी समेत आठ देवता और महापुरुषों में एक हैं। परशुराम का जन्म पुत्रेष्टि यज्ञ से हुआ था। भगवान शिव ने आशीर्वाद में परशु यानी फरसा दिया। इसी कारण इन्हें परशुराम के नाम से जाना जाता है। परशुराम की पूजा से साहस बढ़ता है और हर तरह का डर खत्म हो जाता है।

ब्राह्मण कुल में जन्म क्षत्रियों जैसा व्यवहार

श्री महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक भगवान राम व परशुराम दोनों ही विष्णु के अवतार हैं। भगवान राम क्षत्रिय कुल में पैदा हुए, लेकिन उनका व्यवहार ब्राह्मण जैसा था। वहीं भगवान परशुराम का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ, लेकिन व्यवहार क्षत्रियों जैसा था। भगवान शिव के परमभक्त परशुराम न्याय के देवता हैं। इन्होंने धरती को 21 बार क्षत्रिय विहीन किया था। यही नहीं इनके गुस्से से भगवान गणेश भी नहीं बच पाए थे।

परशुराम ने तोड़ा था गणेशजी का दांत

ब्रह्मवैवर्त पुराण में वर्णित है कि एक बार परशुराम भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे। प्रथम पूज्य शिव-पार्वती पुत्र भगवान गणेश ने उन्हें शिवजी से मिलने नहीं दिया। इस बात से क्रोधित होकर उन्होंने अपने परशु से भगवान गणेश का एक दांत तोड़ा डाला। इस कारण से भगवान गणेश एकदंत कहलाने लगे।

इस तरह करें पूजन

सूर्योदय से पहले उठकर नहाने के बाद साफ कपड़े पहनें। चैकी पर परशुरामजी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। हाथ में फूल और अक्षत लेकर परशुराम जी के चरणों में छोड़ दें। इसके बाद अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं और नैवेद्य अर्पित करें फिर कथा पढ़ें या सुनें। कथा के बाद भगवान को मिठाई का भोग लगाएं और धूप-दीप से आरती उतारें। आखिरी में भगवान परशुराम से प्रार्थना करें कि वे साहस दें और हर तरह के भय व अन्य दोष से मुक्ति प्रदान करें। पूजन के लिए सुबह 6ः20 बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक का मुहूर्त है।

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