नैनीताल से आठ किमी पहले रूसी बाइपास पर पार्किंग और होम स्टे बनाए जाएंगे

नैनीताल में जगह सीमित है और यहां हाई कोर्ट राजभवन से लेकर जिला व मंडल के तमाम कार्यालय हैं। पार्किंग के लिए एकमात्र डीएसए मैदान है जिसकी क्षमता 500 वाहनों की है। दूसरा नारायणनगर है जहां 250 से 300 वाहन ही खड़े हो पा रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sun, 18 Jul 2021 08:02 AM (IST) Updated:Sun, 18 Jul 2021 08:02 AM (IST)
नैनीताल से आठ किमी पहले रूसी बाइपास पर पार्किंग और होम स्टे बनाए जाएंगे
नैनीताल से आठ किमी पहले रूसी बाइपास पर पार्किंग और होम स्टे बनाए जाएंगे

गणेश जोशी, हल्द्वानी : देश-दुनिया में प्रसिद्ध सरोवर नगरी नैनीताल की खूबसूरती पर्यटकों को आर्षित करती है। बढ़ती आबादी के साथ-साथ पर्यटकों की आवक बढ़ने से हाल में कोविड महामारी के बीच अराजकता जैसी स्थिति पैदा हो गई। भविष्य में पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने नैनीताल से आठ किमी पहले रूसी बाइपास के आसपास पार्किंग के अलावा होम स्टे विकसित करने की योजना बनाई है। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

नैनीताल में जगह सीमित है और यहां हाई कोर्ट, राजभवन से लेकर जिला व मंडल के तमाम कार्यालय हैं। पार्किंग के लिए एकमात्र डीएसए मैदान है जिसकी क्षमता 500 वाहनों की है। दूसरा नारायणनगर है, जहां 250 से 300 वाहन ही खड़े हो पा रहे हैं। क्षमता 700 तक करने के लिए इस जगह पर निर्माण चल रहा है। कलेक्ट्रेट में भी 250 वाहनों की पार्किंग बनाई जानी है। प्रशासन की योजना है कि भविष्य में सीजन के समय उन्हीं पर्यटकों को नैनीताल आने दिया जाएगा, जिनकी होटल में बुकिंग होगी।

ऐसे में दूर प्रदेशों से आने वाले पर्यटकों को निराश न लौटना पड़े। डीएम धीराज गब्र्याल ने रूसी बाइपास के आसपास के क्षेत्र व उससे लगे ताकुला गांव में होम स्टे की योजना बनाई है। नैनीताल से पांच से आठ किलोमीटर की दूरी पर होम स्टे में रहते हुए भी पर्यटक शटल सेवा से नैनी झील का लुत्फ उठा सकेंगे। इससे जहां पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। डीएम नैनीताल धीराज गब्र्याल ने बताया किपर्यटन नगरी नैनीताल के विकास के लिए और काम किए जाने की जरूरत है। नगर में विस्तार की संभावना बेहद कम है। इसलिए रूसी बाइपास के आसपास के क्षेत्र व गांवों को होम स्टे के जरिये विकसित किया जा रहा है।

स्थानीय फूड कल्चर को किया जाएगा विकसित

होम स्टे के जरिये उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरागत भोजन को बढ़ाने देने के भी विशेष पहल की जाएगी। खासकर, कुमाऊं के ऐपण, शिल्पकला, संस्कृति की झलक होम स्टे में दिखेगी। इसके साथ ही होम स्टे संचालकों को स्थानीय परंपरागत उत्पादों को परोसने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इससे जहां स्थानीय उत्पादों का प्रचार होगा, वहीं लोगों की आॢथकी भी मजबूत होगी।

टिफिनटॉप की डॉर्थी सीट का होगा सुंदरीकरण

शहर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल टिफिनटॉप के डॉर्थी सीट वाली चट्टान की दरार हाल में लगातार हो रही बारिश की वजह से अधिक चौड़ी हो रही है। इससे निचले इलाकों में पत्थर गिरने का खतरा भी हो गया है। एसडीएम प्रतीक जैन के अनुसार जिला विकास प्राधिकरण द्वारा दरार को पाटने के साथ ही पर्यटन स्थल को नए सिरे से विकसित कर पर्यटकों को आकर्षित करने योग्य बनाया जाएगा।

इसलिए प्रसिद्ध है डॉर्थी सीट

डॉर्थी सीट नैनीताल शहर से चार किलोमीटर दूर अयारपाटा वन रेंज में स्थित है। जैवविविधता से परिपूर्ण यह यह स्थल बर्ड वॉचिंग के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां घास का मैदान बुग्यालों की तरह नजर आता है। इतिहासकार प्रो. अजय रावत बताते हैं कि ब्रिटिश काल में यह पिकनिक स्पॉट था। इसके नीचे शेरवुड कॉलेज स्थित है। तब रविवार को शेरवुड कॉलेज के ब्रिटिश मूल के छात्र-छात्राएं यहां के मैदान पर पिकनिक के लिए जाते थे। सेंट जोजफ कॉलेज नैनीताल में अध्ययनरत बच्चे भी तब माह में एक बार यहां कंट्री वॉक के लिए आते थे। समुद्र तल से 2292 मीटर ऊंचाई पर स्थित इसी क्षेत्र में ब्रिटिश आर्मी के कर्नल जेपी कैलेट की पत्नी डॉर्थी अक्सर जाया करती थी। प्रकृति प्रेमी डॉर्थी इसी चट्टान पर बैठकर अध्ययन भी करती थी। एक दिन तितलियों के पीछे भागते हुए उनका पैर फिसला और उनकी मौत हो गई। पति ने उनके लिए याद में इस स्थल को विकसित कर डॉर्थी सीट नाम दिया।

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