अरविंद कुमार ङ्क्षसह, रुद्रपुर : हरित क्रांति को आधार देने वाला जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय अब शोध के साथ ही पेटेंट में भी खुद को नंबर वन बनाएगा। इसके लिए विश्वविद्यालय की बौद्धिक संपदा प्रबंधन शाखा को दो वर्ष के लिए राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (नाहेप) से जोड़ा गया है। इसका असर भी दिखने लगा है। नाहेप ने विभिन्न विभागों से 48 ऐसे शोध चयनित किए हैं जो पेटेंट के दायरे में आते हैं। सभी के पेटेंट की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। यही नहीं, पहले से लंबित 33 पेटेंटों को भी फिर से फाइल किया गया है। विश्वविद्यालय को उम्मीद है कि दो वर्ष में सभी शोध पेटेंट हो जाएंगे। यह विश्वविद्यालय के साथ ही कृषि क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।
पेटेंट प्रमोशन कमेटी का गठन
पंत विवि के सभी सात महाविद्यालयों से दो-दो विज्ञानियों का चयन कर पेटेंट प्रमोशन कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी ने विभागों में ऐसे शोध को चिह्नित किया जिसमें पेटेंट के लिए गुणवत्ता दिखी। ऐसे में कुल 48 शोध आधारित तकनीक चयनित की गई। पेटेंट के लिए पुराने आवेदनों की जांच में पता चला कि 33 ऐसी तकनीक हैं, जिनका पेटेंट लंबित है। ऐसे में प्रमोशन कमेटी ने 33 पुराने सहित 81 तकनीक के पेटेंट के लिए आवेदन किया।
विधि विशेषज्ञों की टीम भी जुटी
आवेदनों की खामियों को दूर करने के लिए विश्वविद्यालय पेटेंट से जुड़े विधि विशेषज्ञों की मदद ले रहा है। इनमें सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता भी हैं। इसके साथ ही विशेषज्ञ पेटेंट फाइल करने, खर्च, पेटेंट फाइल की औपचारिकताओं को भी पूरी कर रहे हैं।
पेटेंट के फायदे
किसी तकनीक के पेटेंट को विश्वविद्यालय व्यावसायिक उपयोग के लिए मोटी रकम देकर बेच सकता है। इससे आय बढ़ेगी और संसाधनों के मामले में विवि आत्मनिर्भर भी होगा। रैंकिंग में भी सुधार होगा।
शोध के लिए नाबार्ड का भी साथ
विश्वविद्यालय ने शोध कार्यों में बेहतरी के लिए नेशनल बैंक फार एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) के साथ भी 2019 में करार किया है। इसके तहत नाबार्ड एवं पंतनगर विश्वविद्यालय मिलकर शोध करेंगे। एप के जरिए दूरदराज के किसानों को कृषि एवं पशुपालन संबंधी आधुनिक जानकारी भी मुहैया कराएंगे।
पंत विवि की खास उपलब्धियां
-276 किस्मों की सब्जी, बागवानी, कृषि वानिकी और फूल वाले पौधों का विकास किया।
-धान की सीधी बुआई की विधि विकसित की
-आम व अमरूद की हाइडेंसिटी प्लांटिंग विधि विकसित की
-शिशु आहार के लिए बाजरा आधारित उत्पाद तैयार किया
-चूजों में साल्मोनेलोसिस के नियंत्रण के लिए टीके का विकास
-गुड़ चॉकलेट का उत्पादन
-दूध में यूरिया की मिलावट का पता लगाने के लिए किट विकसित
सुनियोजित रूप से तकनीक विकसित की जाय तो निश्चित तौर पर पेटेंट की संख्या बढ़ेगी। विश्वविद्यालय में पेटेंट प्रमोशन कमेटी के माध्यम से सभी विभागों के शोध कार्यों को तलाशा गया है। उम्मीद है कि दो वर्ष में हमारे सभी शोधों को पेटेंट मिल जाएगा।
डा. शिवेंद्र कुमार कश्यप, डीन, कृषि महाविद्यालय पंत विवि