5 साल से पाइका योजना ठप, ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को निखारने का अब नहीं सुध

मिनी ग्रामीण स्टेडियम की तरह ही खेलकूद की पंचायत युवा क्रीड़ा और खेल अभियान पाइका योजना पिछले पांच वर्षों से ठप है। गांवों में खेलने के लिये मैदान नहीं तैयार हो सके। जो काम हुए भी वह भी खराब हो गए। किसी को भी खेल सामग्री नहीं मिल सकी है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 10:09 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 10:09 PM (IST)
5 साल से पाइका योजना ठप, ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को निखारने का अब नहीं सुध
2017 क बाद कोई पैसा इस मद में नहीें मिला है।

जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : ग्रामीण खेलकूद को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने लाख सपना संजोया हो पर सभी योजनायें फ्लाप साबित हो रही हैं। मिनी ग्रामीण स्टेडियम की तरह ही खेलकूद की पंचायत युवा क्रीड़ा और खेल अभियान पाइका योजना पिछले पांच वर्षों से ठप है। गांवों में खेलने के लिये मैदान नहीं तैयार हो सके। जो थोड़े बहुत काम हुए भी वह भी खराब हो गए। किसी को भी खेल सामग्री नहीं मिल सकी है।

ग्रामीण क्षेत्र में खेलकूद को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2008-09 में पाइका योजना की शुरुआत की गयी थी। योजना के तहत निर्धारित था कि 4600 आबादी वाले गांव चयनित किये जायेंगे। सभी चयनित गांवों में एक संतुलित खेल का मैदान उपलब्ध कराया जायेगा। बच्चों को खेलकूद सिखाने के लिए सभी चयनित ग्राम पंचायतों में कोच की नियुक्ति रहेगी। इतना ही नहीं सरकारी कोष से खेलने के लिए खेल सामग्री भी वितरित की जायेगी, लेकिन इस योजना सिर्फ योजना ही बन कर रह गई। वर्ष, 2008-09 से वर्ष, 2014 तक योजना के अंतर्गत 165 गांवों में एक-एक लाख रुपये देकर मैदान का भराव, शौचालय व अन्य कार्य कराए गए। इसके बाद इस योजना पर किसी की नजर नहीं गई। गांव की प्रतिभा को सही मंच देने के लिए न तो किसी अधिकारी को ख्याल आया और न ही मंत्री व राजनेताओं ने ही इधर गौर फरमाया है। फरवरी 2014 में यूपीए सरकार ने पायका योजना का नाम बदलकर राजीव गांधी खेल अभियान कर दिया था। वर्ष, 2017 के बाद ये भी समाप्त हो गया। अब सवाल उठता है कि जब खिलाड़ी ही नहीं निकलेंगे तो मेडल कहां से आएगा। जिला युवा कल्याण अधिकारी मोहन ङ्क्षसह नगन्याल ने बताया कि योजना का नाम बदलने के बाद वर्ष, 2017 क बाद कोई पैसा इस मद में नहीें मिला है। उस दौरान किए गए कार्यों के अलावा कोई कार्य नहीं हुए हैं।

युवक मंगल दल को भी नहीं कोई प्रोत्साहन

गांवों में सरकारी योजनाओं का प्रचार प्रसार, लोगों की मदद करने एवं सेवा कार्य के लिए युवक मंगल दल का कार्य कर रहे हैं। वर्तमान में जिले में महिला एवं पुरूष मिलाकर करीब 650 युवक एवं युवतियां कार्य कर रहे हैं। सरकार की ओर से वर्ष, 2018 तक इन्हें हर साल चार हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती थी, अब वह भी बंद है। जबकि कार्यकर्ता निस्वार्थ कार्य में जुटे हैं।

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