कोरोना मरीजों से पट गया एसटीएच, व्यवस्था बेदम, उपनलकर्मियों की हड़ताल से समय पर नहीं पहुंच रहा ऑक्सीजन सिलिंडर

दो दिन में 90 से अधिक मरीज भर्ती हो गए। इस समय कोरोना संक्रमित 270 मरीज भर्ती हो चुके हैं। इसमें से 50 की हालत गंभीर है। वहीं जिले में 186 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। एसटीएच में उपनलकर्मी 25 दिन से हड़ताल पर हैं।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 03:14 PM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 03:14 PM (IST)
कोरोना मरीजों से पट गया एसटीएच, व्यवस्था बेदम, उपनलकर्मियों की हड़ताल से समय पर नहीं पहुंच रहा ऑक्सीजन सिलिंडर
इस समय कोरोना संक्रमित 270 मरीज भर्ती हो चुके हैं।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : डा. सुशीला तिवारी कोविड अस्पताल में उपनलकर्मियों की हड़ताल कोविड मरीजों पर भारी पड़ रही है। अस्पताल कोरोना मरीजों से पट चुका है। दो दिन में 90 से अधिक मरीज भर्ती हो गए। इस समय कोरोना संक्रमित 270 मरीज भर्ती हो चुके हैं। इसमें से 50 की हालत गंभीर है।

वहीं जिले में 186 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। एसटीएच में उपनलकर्मी 25 दिन से हड़ताल पर हैं। दो सप्ताह से कोरोना का प्रकोप चरम पर है। हालात बेकाबू हो चुके हैं। अस्पताल के 700 से अधिक कर्मचारियों की हड़ताल से कोविड मरीजों के लिए समय पर ऑक्सीजन सिलिंडर तक पहुंचाना मुश्किल हो गया है। भोजन व दवाइयों भी समय से नहीं मिल पा रही हैं। इसके बावजूद न कर्मचारी मानने को तैयार हैं और न ही सरकार कोई सकारात्मक हल निकाल सकी है।

पांच लोगों की मौत में तीन नैनीताल जिले के

एसटीएच के चिकित्सा अधीक्षक डा. अरुण जोशी ने बताया कि अस्पताल में 270 मरीज भर्ती हैं। इसमें से 50 की हालत अधिक गंभीर है। कोरोना के लक्षण वाले संदिग्ध 20 मरीजों को आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। पांच मरीजों की मौत हुई हैं। इसमें तीन मरीज नैनीताल जिले के और एक मरीज पिथौरागढ़ व एक मरीज टनकपुर क रहने वाला था।

जिले में 186 लोग कोरोना संक्रमित

एसीएमओ डा. रश्मि पंत ने बताया कि जिले में 689 लोगों की जांच रिपोर्ट आई है। इसमें से 186 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इनमें से अधिकांश को होम आइसोलेशन में रखा गया है।

ये हो रही है दिक्कतें

उपनल कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से सफाई कार्य प्रभावित है। गंभीर मरीज बिस्तर में ही मल त्याग कर देते हैं। इनकी सफाई भी समय से नहीं हो रही है। वार्ड ब्वाय की कमी सबसे अधिक अखर रही है। इसकी वजह से मरीजों को जांच के लिए वार्ड से जांच कक्ष तक ले जाना मुश्किल हो गया है। कई बार तो घंटों बार जांच कराने ले जाया जा रहा है। हालात बेहद गंभीर होते जा रहे हैं

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