सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं को हाई कोर्ट में न्यायाधीश बनाने का विरोध

हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की सर्च कमेटी की विरोध किया है। पदाधिकारियों ने बैठक कर तय किया कि उत्तराखंड हाई कोर्ट में अधिवक्ता कोटे से बनाए जाने वाले न्यायाधीशों का चयन रेगुलर प्रैक्टिस करने वाले हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्यों में से किया जाए।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 08:24 AM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 08:24 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं को हाई कोर्ट में न्यायाधीश बनाने का विरोध
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं को हाई कोर्ट में न्यायाधीश बनाने का विरोध

जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की सर्च कमेटी की विरोध किया है। सोमवार को एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बैठक कर तय किया कि उत्तराखंड हाई कोर्ट में अधिवक्ता कोटे से बनाए जाने वाले न्यायाधीशों का चयन रेगुलर प्रैक्टिस करने वाले हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्यों में से किया जाए। इस विषय पर विस्तृत प्रस्ताव बनाकर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन को भी भेजा जाएगा।

सोमवार को बार एसोसिएशन सभागार में अध्यक्ष अवतार सिंह रावत की अध्यक्षता व सचिव विकास बहुगुणा के संचालन में हुई बैठक में अधिवक्ताओं ने एक मत होकर अगस्त में बनाई गई सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की सर्च कमेटी का विरोध किया। इस कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट के तीन अधिवक्ताओं को उत्तराखंड हाई कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त करने की संस्तुति की थी।

बैठक में उच्च न्यायालय के वादों की शीघ्र सुनवाई के लिए अर्जेंसी एप्लीकेशन को फिर से पुराने प्रारूप में वापस लाने की भी मांग की गई। बैठक के पारित प्रस्ताव चीफ जस्टिस व मुख्यमंत्री को भेजे जाएंगे। बैठक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष डीसीएस रावत, शक्ति सिंह, आशुतोष पोस्ती, प्रभा नैथानी, डा. महेंद्र पाल, एमसी पांडे, एमसी पंत, ललित बेलवाल, सैयद नदीम मून, शशिकांत शांडिल्य, आदित्य साह, कुर्बान अली, योगेश पचौलिया, सौरभ अधिकारी, बीएन मौलखी, शैलेंद्र नौरियाल आदि मौजूद थे।

इसलिए किया जा रहा है विरोध

सुप्रीम कोर्ट के 48 अधिवक्ताओं को हाई कोर्ट के न्यायाधीश बनाने का प्रस्ताव बीते दिनों को कोलेजियम भेजा गया था। जिसका हाई कोर्ट बार एसोसिएशन विरोध कर रहा है। बार का कहना है कि जिन तीन अधिवक्ताओं के नाम उत्तराखंड हाईकोर्ट में न्यायाधीश बनाने के लिए भेजे जा रहे हैं, उन लोगों ने आज तक किसी भी न्यायालय में प्रैक्टिस नहीं की है। यह न तो उत्तराखंड के निवासी हैं और न ही इन लोगों को उत्तराखंड की राजनीतिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक घटनाओं की कोई जानकारी है। लिहाजा ऐसे में किसी अनुभवहीन का नाम न्यायाधीश बनाने के लिए भेजना अनैतिक है।

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