World Snow Leopard Day : चीन सीमा पर माणा से लेकर पिथौरागढ़ तक 11500 फीट पर चलेगा 'आपरेशन हिम तेंदुआ'

World Snow Leopard Day एक दिसंबर से 15 दिसंबर तक वन विभाग साढ़े तीन हजार मीटर की ऊंचाई वाले इलाकों में इनकी गिनती को लेकर स्पेशल अभियान चलाने जा रहा है। चीन सीमा पर स्थित माणा गांव से लेकर पिथौरागढ़ का हिमालयी क्षेत्र भी इसमें शामिल है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 09:59 AM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 09:59 AM (IST)
World Snow Leopard Day : चीन सीमा पर माणा से लेकर पिथौरागढ़ तक 11500 फीट पर चलेगा 'आपरेशन हिम तेंदुआ'
अनुमान लगाया जाता है कि राज्य में स्नो लैपर्ड की संख्या 78 होगी।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : World Snow Leopard Day : उत्तराखंड में हिम तेंदुओं की संख्या को लेकर स्थिति जल्द साफ होगी। एक दिसंबर से 15 दिसंबर तक वन विभाग साढ़े तीन हजार मीटर की ऊंचाई वाले इलाकों में इनकी गिनती को लेकर स्पेशल अभियान चलाने जा रहा है। चीन सीमा पर स्थित माणा गांव से लेकर पिथौरागढ़ का हिमालयी क्षेत्र भी इसमें शामिल है। वन प्रभाग व वन्यजीव विहार को मिलाकर दस केंद्र गणना में शामिल किए गए हैं। फिलहाल अनुमान लगाया जाता है कि राज्य में स्नो लैपर्ड की संख्या 78 होगी। अब कैमरा ट्रैप गिनती से पूरी होने पर तस्वीर साफ हो जाएगी। 

जैव विविधिता और वन्यजीवों के सुरक्षित प्रवास को लेकर उत्तराखंड का देश भर में अलग मुकाम है। बाघ, हाथी के अलावा गुलदारों की भी यहां अच्छी तादाद है। वहीं, उत्तराखंड उन हिमालयी राज्यों की श्रेणी में भी शामिल है जहां स्नो लैपर्ड की मौजूदगी लगातार बढ़ रही है। हालांकि, पुष्ट गणना नहीं होने के कारण आज तक अधिकारिक तौर पर संख्या तय नहीं हो सकी। अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ यानी आइयूसीएन के मुताबिक यह वन्यजीव रेड लिस्ट में शामिल है। अब वन विभाग के 15 दिनी अभियान के बाद विज्ञानी आंकड़े सामने आने की पूरी संभावना है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने बताया कि 150 से ज्यादा कैमरा ट्रैप लगाने के साथ ग्रिड सिस्टम से गणना होगी। यानी एरिया निर्धारित कर वनकर्मियों की ड्यूटी लगेगी। एक-दूसरे से लगती ग्रिड में स्नो लैपर्ड के नजर आने पर टाइमिंग का मिलान इसमें अहम रहेगा। इससे दोहराव की स्थिति नहीं रहेगी। 

इन जगहों पर ढूंढे जाएंगे 

गोविंद वन्यजीव विहार, गंगोत्री नेशनल पार्क, नंदा देवी नेशनल पार्क, उत्तरकाशी डिवीजन, टिहरी डिवीजन, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, बदरीनाथ, केदारनाथ व बागेश्वर डिवीजन के अलावा उच्च हिमालयी क्षेत्र पर फोकस किया जा रहा है। इन जगहों पर पूर्व में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर हिम तेंदुओं को देखा गया है।

रात्रिचर और अकेला चलने वाला 

ऊंचाई पर स्थित बड़े पत्थरों की गुफा में रहने वाला हिम तेंदुआ सुबह व अंधेरे के वक्त ज्यादा बाहर निकलता है। इन्हें अकेले विचरण करने वाला वन्यजीव माना जाता है। हालांकि, कोरोना की पहली लहर के दौरान अप्रैल 2020 में उत्तराखंड के नंदा देवी नेशनल पार्क में स्नो लैपर्ड का जोड़ा कैमरे में कैद हुआ था। भरल यानी हिमालयन बकरी इसका पसंदीदा भोजन है। शारीरिक विशेषता की बात करें तो दूसरे गुलदारों की अपेक्षा इसके सिर का आकार छोटा होता है। 

मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड जेएस सुहाग ने बताया कि एक दिसंबर से हिम तेंदुओं की गिनती का काम शुरू हो जाएगा। 3500 मीटर की ऊंचाई पर इनकी मौजूदगी तलाशी जाएगी। 150 से अधिक कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं। संभावित वासस्थल को अलग-अलग जोन में बांटा गया है।

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