आनलाइन पढ़ाई ने लगाई मोबाइल की लत, बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ा, मनोचिकित्सक कह रहे ये बात
दो साल से कोरोना संक्रमण और इसके नियंत्रण में लगे लाकडाउन ने बहुत कुछ बदल दिया। जहां व्यापार से लेकर आम जन पर इसका दुष्प्रभाव देखने को मिला वहीं बच्चों पर भी बुरा असर दिखने लगा है। आनलाइन क्लास से छात्र-छात्राओं को मोबाइल की लत लग गई है।
गणेश जोशी, हल्द्वानी : दो साल से कोरोना संक्रमण और इसके नियंत्रण में लगे लाकडाउन ने बहुत कुछ बदल दिया। जहां व्यापार से लेकर आम जन पर इसका दुष्प्रभाव देखने को मिला, वहीं बच्चों पर भी बुरा असर दिखने लगा है। आनलाइन क्लास से छात्र-छात्राओं को मोबाइल की लत लग गई है। अब वे बिना मोबाइल स्कूल जाने को तैयार नहीं है। इससे कई बच्चों में गुस्सा, चिड़चिड़ापन समेत कई तरह के ऐसे लक्षण उभर गए हैं, जो अभिभावकों व शिक्षकों के लिए नई चुनौती बन गए हैं। मनोविज्ञानी बच्चों को सकारात्मक माहौल देने पर जोर दे रहे हैंं।
केस एक
नैनीताल रोड निवासी नौ वर्षीय छात्र दो दिन बिना मोबाइल के स्कूल चला गया। तीसरे दिन से वह बिना मोबाइल के जाने को तैयार नहीं हुआ। अभिभावकों ने टीचर से बात की और मोबाइल की अनुमति मांगी। फिर बच्चा स्कूल जाने लगा।
केस दो
बरेली रोड निवासी 14 वर्षीय बच्चे ने चौथे दिन से स्कूल जाना बंद कर दिया। उसमें एंग्जाइटी डिसआर्डर के लक्षण दिखने लगे। कहने लगा, फोन देंगे तो तभी स्कूल जाऊंगा। अब उसकी काउंसलिंग चल रही है।
केस तीन
बच्चे की उम्र 12 साल की है। दो साल से घर पर है। जब स्कूल खुला तो जाने को तैयार ही नहीं हुआ। जैसे-तैसे कुछ दिन स्कूल भेजा, लेकिन अब घर पर ही रहने की जिद करने लगा है। मोबाइल की लत व होम सिकनेस का शिकार हो गया है।
ये लक्षण उभरने लगे
- चिड़चिड़ापन
- आक्रामक व्यवहार
- खाना छोड़ देना
- अ'छी नींद न ले पाना
- बातचीत का तरीका बदलना
इन बातों का रखें ध्यान
- स्कूल में एक्टिविटी बढ़ाएं
- समूह चर्चा कराएं
- शौक को बढ़ाने में मदद करें
- बोर वाले पाठ्यक्रम में रुचि बढ़ाएं
- अचानक पढ़ाई का बोझ न बढ़ाएं
एंग्जाइटी डिसआर्डर कामन हुआ
मनोचिकित्सक डा. रवि सिंह भैंसोड़ा ने बताया कि एंग्जाइटी डिसआर्डर कामन हो चुका है। स्कूलों में अचानक वर्कलोड बढ़ गया है। बदले व्यवहार व स्कूल जाने की आदत को विकसित करने के लिए बच्चों को प्रेरित करें। उनकी तारीफ करें। धीरे-धीरे आदत बन जाएगी। स्कूल स्टाफ को भी संवेदनशील रहना होगा।