धारचूला, मुनस्यारी तक राहत, उसके बाद चीन सीमा तक आफत, दो सौ रुपए किलो तक बिके प्‍याज टमाटर

बीते दिनों की बारिश से पिथौरागढ़ जिले में बंद 105 सड़कों में से 69 मार्ग खुल चुके हैं। सीमांत की धारचूला और मुनस्यारी को जाडऩे वाले मार्ग खुलने से धारचूला और मुनस्यारी तक तो राहत मिली है लेकिन दोनों स्थानों से आगे चीन सीमा तक हाल बेहाल हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 04:32 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 04:32 PM (IST)
धारचूला, मुनस्यारी तक राहत, उसके बाद चीन सीमा तक आफत, दो सौ रुपए किलो तक बिके प्‍याज टमाटर
धारचूला, मुनस्यारी तक राहत, उसके बाद चीन सीमा तक आफत, दो सौ रुपए किलो तक बिके प्‍याज टमाटर

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : बीते दिनों की बारिश से पिथौरागढ़ जिले में बंद 105 सड़कों में से 69 मार्ग खुल चुके हैं। सीमांत की धारचूला और मुनस्यारी को जाडऩे वाले मार्ग खुलने से धारचूला और मुनस्यारी तक तो राहत मिली है, लेकिन दोनों स्थानों से आगे चीन सीमा तक हाल बेहाल हैं। इस क्षेत्र में जान हथेली पर रख आवाजाही हो रही है। पैंतीस मार्ग बंद होने से डेढ़ लाख की आबादी प्रभावित है। पिथौरागढ़ से सबसे नजदीकी मैदानी क्षेत्र टनकपुर तक अभी भी आवाजाही संभव नहीं हुई है।

गत दिनों की बारिश के बाद जिले में 105 मोटर मार्ग बंद हो गए थे । जिसमें जिले के दो राष्ट्रीय राजमार्ग, एक स्टेट हाइवे , छह सीमा मार्ग और शेष ग्रामीण सडकें शामिल थी। बंद ग्रामीण सडकों में अधिकांश मार्ग प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक योजना की थी। बीते तीन दिनों के बीच दोनों एनएच, स्टेट हाइवे खुल चुके हैं। जौलजीबी -मुनस्यारी मार्ग और टनकपुर -तवाघाट हाइवे में पिथौरागढ़ से धारचूला के मध्य नया बस्ती के पास शनिवार सायं मार्ग खुले। दोनों मार्ग खुलने से धारचूला और मुनस्यारी तक अब सब्जी, गैस व अन्य आवश्यक वस्तुओं के वाहन पहुंचने लगे हैं। दोनों स्थानों पर टमाटर और प्याज की कीमत प्रतिकिलो दो सौ रुपए तक पहुंच चुकी थी।

धारचुला और मुनस्यारी से आगे हाल बेहाल हैं। चीन सीमा तक जाने वाली तवाघाट- गर्बाधार- लिपुलेख, तवाघाट -सोबला- तिदांग, मुनस्यारी -मिलम मार्ग बंद हैं। धारचूला से आगे अभी भी जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है। उच्च हिमालय में फंसे पर्यटकों और लोगों को हैलीकॉप्टर से रेस्क्यू किया जा रहा है। उच्च मध्य हिमालयी क्षेत्र के लोग एक बार फिर मानसून काल जैसे ही हालात में पहुंच चुके हैं। इन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों को भारी समस्याओं का सामना करना ड़ रहा है। तीनों घाटियों का सम्पर्क भंग होने से सौ से अधिक गांव अलग-थलग पड़े हैं।

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