जोहार शिक्षा समिति पर एक परिवार का कब्‍जा, जनजातीय परिवारों के बच्चों नहीं मिल रहा लाभ

Johar Education Committee सीमांत पिथौरागढ़ जिले के जनजातीय परिवारों के बच्चों को न्यूनतम शुल्क में अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देने के उद्देश्य से स्थापित जोहार शिक्षा समिति में एक परिवार का कब्जा होने का आरोप लगा है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 26 Nov 2021 09:36 AM (IST) Updated:Fri, 26 Nov 2021 09:36 AM (IST)
जोहार शिक्षा समिति पर एक परिवार का कब्‍जा, जनजातीय परिवारों के बच्चों नहीं मिल रहा लाभ
समिति ने करोड़ों की सरकारी ग्रांट ली, फिर भी जनजातीय परिवारों के बच्चों नहीं मिल रहा लाभ

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : सीमांत पिथौरागढ़ जिले के जनजातीय परिवारों के बच्चों को न्यूनतम शुल्क में अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देने के उद्देश्य से स्थापित जोहार शिक्षा समिति में एक परिवार का कब्जा होने का आरोप लगा है। मुनस्यारी तहसील की 10 ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों व ग्रामीणों ने जनजाति कल्याण निदेशक से इसकी लिखित शिकायत करते हुए शासन से प्राप्त ग्रांट का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।

शिकायती पत्र में कहा गया है कि क्षेत्र के लोगों ने 1989 में समिति का गठन किया। बाद में यह परिवार विशेष की समिति हो गई। शिक्षा को व्यवसाय का रूप दे दिया गया। अभिभावकों से फीस ली जाने लगी। सूचना अधिकार अधिनियम से प्राप्त सूचना में विद्यालय संचालन के लिए 1992-93 से शासन से ग्रांट मिलने की बात सामने आई है। शिकायत करने पर बच्चों के नाम काटने की धमकी दी जाती है। आरोप है कि समिति ने सात करोड़ रुपये सरकारी ग्रांट प्राप्त की है।

अभिभावकों का तर्क है कि सरकारी ग्रांट के बावजूद मोटी फीस वसूलना बंद किया जाए। बिजली, पानी, शौचालय आदि सुविधाओं के लिए अभिभावक मामूली सहयोग राशि देने को तैयार हैं। शिकायती पत्र की प्रति शिक्षा सचिव, समाज कल्याण निदेशक को भी भेजी गई है। पापड़ी, बूंगा, सरमोली, दरकोट, दरांती, हरकोट, मल्ला घोरपट्टा, जिमियां, सांईभाट, धापा के ग्राम प्रधानों के हस्ताक्षर हैं।

chat bot
आपका साथी