Uttarakhand : कुमाऊं में औसतन रोजाना एक व्यक्ति कर रहा आत्महत्या

आकड़ों के अनुसार मंडल भर में रोजाना औसतन एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है। पिछले दस माह में मंडलभर में आत्महत्या के 315 मामले दर्ज किये गए हैं। जिसमें 191 पुरुष जबकि 97 महिलाएं शामिल हैं। 27 किशोर भी आत्मघाती कदम उठा चुके हैं। सर्वाधिक मौतें फांसी लगाने से हुईं।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 11:51 AM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 11:51 AM (IST)
Uttarakhand : कुमाऊं में औसतन रोजाना एक व्यक्ति कर रहा आत्महत्या
नशा भी मुख्य कारण है। नशे की लत में फंसे लोग धीरे-धीरे तनाव में आकर आत्मघाती कदम उठा रहे हैं।

नरेश कुमार, नैनीताल। बदलती जीवनशैली की बीच छोटी-छोटी परेशानियों और पारिवारिक कलह के चलते तनाव में आकर लोग जान देने से भी गुरेज नहीं कर रहे। मंडल में रोजाना औसतन एक  व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है। मनोचिकित्सक पारिवारिक कलह, नशे की बढ़ती प्रवृत्ति, मानसिक तनाव और बदलती जीवनशैली में सहनशक्ति खोने को इसका कारण मान रहे हैं। 

आकड़ों के अनुसार मंडल भर में रोजाना औसतन एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है। पिछले दस माह में मंडलभर में आत्महत्या के 315 मामले दर्ज किये गए हैं। जिसमें 191 पुरुष, जबकि 97 महिलाएं शामिल हैं। जबकि 27 किशोर भी आत्मघाती कदम उठा चुके हैं। सर्वाधिक मौतें फांसी लगाने से हुईं। 

एकाकी जीवन बन रहा बड़ी वजह

बीडी पांडे अस्पताल के मनोचिकित्सक डा.गिरीश पांडेय बताते हैं आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ रहे हंै। लोगों द्वारा कोई समस्या होने पर एकाकी जीवन व्यतीत करना, पारिवारिक कलह होने पर सहनशीलता खो देना आत्महत्या का बड़ा कारण बन रहा है। नशा भी मुख्य कारण है। नशे की लत में फंसे लोग धीरे-धीरे तनाव में आकर आत्मघाती कदम उठा रहे हैं। 

बच्चों में भी बढ़ रहे मामले

वयस्कों के साथ ही बच्चों में भी आत्महत्या के मामले बढ़ रहे है। बीते दस माह में मंडल में 15 किशोर, जबकि 12 किशोरियां आत्महत्या कर चुकी हैं। डा.पांडेय बताते हैं हर आयु वर्ग में आत्महत्या करने के पीछे अलग-अलग कारण है। बच्चों में मोबाइल गेम का बढ़ता क्रेज और इच्छा पूर्ति नहीं होने पर बिना सोचे कदम उठाना इसका बड़ा कारण बन रहा है। 

चिकित्सक से लें सलाह

डा.पांडेय ने बताया कि आत्महत्या करने का विचार व्यक्ति के दिमाग में क्षणिक होता है। कोई भी परेशानी अथवा तनाव होने पर यदि व्यक्ति स्वजनों से इस संबंध में बातचीत कर ले तो परेशानी से निकला जा सकता है। स्वजन समय-समय पर उनकी समस्याएं पूछते रहें। मानसिक अवसाद होने पर मनोचिकित्सक से काउंसलिंग कर इससे बाहर निकला जा सकता है। 

बीते दस माह में जिलों में दर्ज हुए मामले

- उधमसिंह नगर- 140

- नैनीताल- 74

- अल्मोड़ा- 27

- बागेश्वर- 17

- पिथौरागढ़- 32

- चम्पावत- 25 

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