अब पीसीसीएफ को हटाने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका, कोर्ट ने औचित्य पर उठाया सवाल
नैनीताल हाईकोर्ट ने एनटीसीए की अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लेकर सरकार व पीसीसीएफ का जवाब तलब किया। साथ ही सरकार से पूछा कि अतिक्रमण व अवैध निर्माण पेड़ काटने के दोषी अफसरों पर क्या कार्रवाई हुई।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : कार्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण को देखते हुए राज्य के प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी को हटाने का मामला जनहित याचिका के जरिये हाईकोर्ट पहुंच गया है। हाईकोर्ट ने मामले को जनहित से जुड़ा नहीं मानते हुए याचिकाकर्ता को याचिका में संशोधन कर नई याचिका दायर करने को कहा है।
कार्बेट नेशनल पार्क में वन भूमि पर पेड़ काटने व अवैध निर्माण के मामले की एनटीसीए की जांच के बाद पहली बार राज्य में पीसीसीएफ राजीव भरतरी को पद से हटा दिया गया। उनके तबादले के साथ ही इस अवैध निर्माण में कथित रूप से जिम्मेदार ठहराए गए डीएफओ किशन चंद को मुख्यालय से अटैच कर दिया गया। अभी निदेशक कार्बेट तक जांच की आंच नहीं पहुंची है। नैनीताल हाईकोर्ट ने एनटीसीए की अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लेकर सरकार व पीसीसीएफ का जवाब तलब किया। साथ ही सरकार से पूछा कि अतिक्रमण व अवैध निर्माण, पेड़ काटने के दोषी अफसरों पर क्या कार्रवाई हुई। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सरकार को पीसीसीएफ बदलना पड़ा। अब देहरादून की अनु पंत ने याचिका दायर कर पीसीसीएफ को हटाने के खिलाफ याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि प्रकरण में और भी जिम्मेदार हैं।
देहरादून निवासी अनू पंत ने याचिका दायर की है। जिसमें पीसीसीएफ को हटाने के खिलाफ तथा मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक पराग मधुकर धकाते की नियुक्ति निरस्त करने की याचना की है। सरकार की ओर से सर्विस मामलों को जनहित याचिका पर शामिल करने पर गंभीर आपत्ति जताई गई। कोर्ट ने भी याचिका के औचित्य पर सवाल पूछा। साथ ही याचिका को डिफेक्टेड मानते हुए संशोधित याचिका दायर करने की छूट प्रदान की है। सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में हुई।