अब जल निगम को बताना होगा, जंगल व निजी भूमि से कितनी गुजरेगी पेयजल लाइन

हल्द्वानी की सबसे बड़ी जरूरत और बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट जमरानी बांध के लिए एक और सर्वे पूरा करना होगा। जमरानी परियोजना ने इसे लेकर जल निगम को पत्र भेजा है। निगम को बताना होगा कि बांध से शहर के लिए पेयजल आपूर्ति करने वाली लाइन कहां-कहां से होकर गुजरेगी।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 07:40 AM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 07:40 AM (IST)
अब जल निगम को बताना होगा, जंगल व निजी भूमि से कितनी गुजरेगी पेयजल लाइन
सर्वे के बाद अधिग्रहण को लेकर प्रक्रिया शुरू होगी। पर्यावरणीय अध्ययन भी सर्वे में शामिल होगा।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : भविष्य में हल्द्वानी की सबसे बड़ी जरूरत और बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट जमरानी बांध के लिए एक और सर्वे पूरा करना होगा। जमरानी परियोजना ने इसे लेकर जल निगम को पत्र भेजा है। निगम को बताना होगा कि बांध से शहर के लिए पेयजल आपूर्ति करने वाली लाइन कहां-कहां से होकर गुजरेगी। यानी जमरानी से दमुवाढूंगा में बनने वाले ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचने वाली लाइन को बिछाने के लिए कितनी वन भूमि और कितनी निजी जमीन की जरूरत होगी। सर्वे के बाद अधिग्रहण को लेकर प्रक्रिया शुरू होगी। पर्यावरणीय अध्ययन भी सर्वे में शामिल होगा।

जमरानी बांध हल्द्वानी समेत तराई के जल संकट को खत्म कर देगा। शहर में पानी की सप्लाई के लिए दमुवाढूंगा में एक ट्रीटमेंट प्लांट बनना भी प्रस्तावित है। बांध से करीब 19 किमी लंबी लाइन यहां आएगी। जिसके बाद प्लांट से लोगों तक पानी पहुंचेगा। हाल मेंं राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से कॉर्बेट-दूधवा कॉरीडोर को लेकर रिपोर्ट मांगी गई थी। वहीं, अब एडीबी की शर्तों के हिसाब से जमरानी परियोजना के अफसरों ने एक सर्वे जल निगम को सौंपा है। दरअसल, बांध से पेयजल लाइन लाने और फिर शहर में आपूर्ति का जिम्मा जल निगम के पास है। इस काम में 355 करोड़ रुपये खर्च होंगे। वहीं, लाइन को शहर तक लाने के लिए निगम को फॉरेस्ट लैंड के साथ निजी जमीन की जरूरत भी पड़ेगी।

अफसरों के मुताबिक प्लानिंग में सड़क किनारे से लाइन को निकालने की बात शामिल है। ताकि भविष्य में लीकेज या अन्य मरम्मत को दुरुस्त करने में दिक्कत न आए। हालांकि, उससे पहले निगम को वन भूमि व निजी जमीन का सर्वे करना होगा। उसके बाद वन महकमे व ग्रामीणों से वार्ता होगी।

जल निगम के ईई एके कटारिया ने बताया कि जमरानी परियोजना द्वारा ईको स्टडी के लिए सर्वे करने को कहा गया है। काम पूरा होने पर पता चलेगा कि जरूरत वाली जमीन किस क्षेत्र का हिस्सा है। उसके हिसाब से टुकड़े का अधिग्रहण होगा।

95 किमी बिछेंगी लाइनें

जमरानी से दमुवाढूंगा तक पानी लाने के बाद छह जोन में बांट आपूर्ति होगी। इसमें शीतलाहाट, नैनीताल रोड, दमुवाढूंगा, लालडांठ व कठघरिया जोन शामिल होगा। इन इलाकों में मौजूद नलकूपों को इन लाइनों से पानी मिलेगा। छठा जोन सबसे अहम होगा। इसके तहत नैनीताल रोड व कालाढूंगी रोड की मुख्य लाइन जो कि नलकूपों से नहीं जुड़ी हैं। जिनमें सीधा प्लांट से पानी पहुंचता है। वह शामिल है।

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