गूलरभोज बांध पर अब हर रात अलग रेंजर करेंगे गश्त, डीएफओ डा. अभिलाषा सिंह के निर्देश पर महकमा अलर्ट

स्पेशल नाइट पेट्रोलिंग की निगरानी सीधा डीएफओ डा. अभिलाषा सिंह द्वारा की जा रही है। दो सप्ताह से यह अभियान लगातार चल रहा है। जिसका असर भी देखने को मिला। तस्करों की सक्रियता के लिए चर्चित इस क्षेत्र में कोई घटना नहीं हुई।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 08:16 PM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 08:16 PM (IST)
गूलरभोज बांध पर अब हर रात अलग रेंजर करेंगे गश्त, डीएफओ डा. अभिलाषा सिंह के निर्देश पर महकमा अलर्ट
किस दिन कौन रेंजर अपनी टीम के साथ क्षेत्र में मौजूद रहेगा। यह भी अचानक तय किया जाता है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : तराई केंद्रीय डिवीजन के सबसे संवेदनशील क्षेत्र माने जाने वाले गूलरभोज डैम क्षेत्र में अब हर रात अलग रेंजर को टीम के साथ गश्त करने को कहा गया है। स्पेशल नाइट पेट्रोलिंग की निगरानी सीधा डीएफओ डा. अभिलाषा सिंह द्वारा की जा रही है। दो सप्ताह से यह अभियान लगातार चल रहा है। जिसका असर भी देखने को मिला। तस्करों की सक्रियता के लिए चर्चित इस क्षेत्र में कोई घटना नहीं हुई।

पीपलपड़ाव रेंज के तहत आने वाले गूलरभोज डैम का क्षेत्र काफी बड़ा है। वहीं, शातिर तस्कर कई बार लकड़ी पार कराने के लिए नाव तक का सहारा लेते हैं। ऐसे में किनारे खड़े वनकर्मी चाहकर भी उन्हें पकड़ नहीं पाते। लकड़ी के अलावा विदेशी पक्षी व जलीय जंतुओं की वजह से यहां गश्त की गंभीरता बढ़ जाती है। तस्करों पर लगाम कसने के लिए रात्रि गश्त को लेकर हर रोज नई टीम की ड्यूटी लगाई जा रही है। किस दिन कौन रेंजर अपनी टीम के  साथ क्षेत्र में मौजूद रहेगा। यह भी अचानक तय किया जाता है।

इन रेंज के अफसर कर रहे गश्त

तराई केंद्रीय डिवीजन के तहत सात रेंज आती है। हल्द्वानी रेंज, टांडा रेंज, भाखड़ा रेंज, गदगदिया रेंज, पीपलपड़ाव रेंज, बरहैनी रेंज व रुद्रपुर रेंज के अफसरों की नाइट ड्यूटी लगती है। वहीं, स्थानीय रेंज के कर्मचारियों के साथ ही डिवीजन की एसओजी टीम 24 घंटे अलर्ट रहती है। ताकि आपात स्थिति में तुरंत बैकअप मिल सके।

उत्तर प्रदेश के तस्कर सक्रिय

तराई के जंगलों के संवेदनशील होने की बड़ी वजह उत्तर प्रदेश के बॉर्डर का नजदीक होना भी है। कई बार यह बात सामने आ चुकी है कि स्थानीय खैर तस्करों का कनेक्शन बिलासपुर के बड़े तस्करों से भी है। जिनके संपर्क हरियाणा तक से है। डीएफओ तराई डॉ. अभिलाषा सिंह ने बताया कि वन संपदा व वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। नाइट गश्त को लेकर ज्यादा गंभीरता बरती जा रही है। स्टाफ भी पूरी मुस्तैदी के साथ पेट्रोलिंग कर रहा है।

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