जमरानी विस्थापितों के लिए अब सितारगंज में खोजी जा रही दूसरी जमीन
जमरानी के विस्थापितों की तरफ से पूर्व में चिह्नित जमीन को नकारने पर अब सितारगंज में एक और जमीन को लेकर संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। यह काम फिलहाल प्राथमिक स्तर पर है। जमरानी परियोजना से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक 284 एकड़ जमीन जिला प्रशासन ने तलाशी है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : जमरानी के विस्थापितों की तरफ से पूर्व में चिह्नित जमीन को नकारने पर अब सितारगंज में एक और जमीन को लेकर संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। यह काम फिलहाल प्राथमिक स्तर पर है। जमरानी परियोजना से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक 284 एकड़ जमीन जिला प्रशासन ने तलाशी है। फिलहाल यह मंथन किया जा रहा है इस जमीन से जरूरत पूरी होगी या नहीं। हालांकि, सितारगंज में जेल परिसर से जुड़ी जमीन को लेकर पूर्व में ग्रामीण आपत्ति जता चुके हैं। बाजपुर की जमीन भी उन्हें पसंद नहीं आई।
जमरानी बांध निर्माण को लेकर हाल में लगातार इससे जुड़े विभागों के अफसरों से एडीबी ने अलग-अलग दौर में वीसी के जरिये से विस्तार से चर्चा की थी, मगर सबसे बड़ा मामला जमीन अधिग्रहण और विस्थापितों को जमीन मुहैया करवाने का है। क्योंकि, उसके बाद ही कुमाऊं के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को लेकर मामला तेजी से आगे बढ़ पाएगा। परियोजना के महाप्रबंधक प्रशांत बिश्नोई ने बताया कि जिला प्रशासन की चिन्हित 284 एकड़ जमीन को लेकर प्रशासन संग मंथन किया जा रहा है।
ग्राम प्रधान खष्टी राघव का कहना है कि पूर्व में डीएम कार्यालय में प्रोजेक्टर के माध्यम से नई जमीन दिखाई गई थी। तब ग्रामीणों ने पहले जमीन दिखाने की मांग की थी। फिर कोरोना काल की वजह से निरीक्षण अटक गया। जमीन की स्थिति जांचने के बाद बाद आपसी सहमति से ही किसी निर्णय को लिया जाएगा।
छह गांवों के 158 परिवार होंगे विस्थापित
जमरानी डूब क्षेत्र के दायरे में छह गांवों के कुल 158 परिवार आ रहे हैं। जिसमें 821 खाताधारक और कुल 921 लोग रहते हैं। पूर्व में पुनर्वास को लेकर 400 करोड़ के बजट का आंकलन किया गया था। फिलहाल दोबारा से जमीन को लेकर सर्वे हो रहा है।
सर्वे अधूरा, पेड़ों का मिलेगा मुआवजा
हाल में शासन ने डीएम को आदेश जारी कर धारा आठ के तहत अधिसूचना जारी कर अधिग्रहण को लेकर विज्ञप्ति जारी करने को कहा था। जिसे लेकर जमरानी परियोजना के अफसर फिर से सर्वे में जुटे थे। इसमें काश्तकारों की जमीन पर लगे फलदार पेड़ों की गिनती कर उनका अलग से मुआवजा बनना था, मगर बारिश व अन्य वजहों से मामला अटक गया।
ग्रामीणों की मुख्य मांगें हर परिवार को पांच एकड़ जमीन, मकान और एक सदस्य को नौकरी। बांध क्षेत्र के लोगों को हल्द्वानी क्षेत्र की 25 किमी परिधि में बसाना होगा। जमरानी बांध परियोजना से प्रभावित लोगों का सर्वे 2019 की रिपोर्ट के आधार पर किया जाए। नई जगह को राजस्व ग्राम घोषित कर बिजली, पानी, स्कूल व अस्पताल की सुविधा मिले। जिन ग्रामीणों का नाम खतौनी में नहीं, मगर ग्राम भूमि और वन पंचायत की जमीन पर रहते हैं, उन्हें भी मकान, जमीन और नौकरी का लाभ मिलना चाहिए। हैड़ाखान मंदिर को मुरकुडिय़ा राजस्व ग्राम में विस्थापित किया जाए। दिव्यांग व विधवा महिलाओं को भी मकान, जमीन व नौकरी मिले। डूब क्षेत्र से 500 मीटर ऊपर निवास करने वाले लोगों को भी विस्थापितों की तरह लाभ मिले।