छावनी परिषद के दुकानदारों पर फिर संकट, 13 दुकानों को 48 घंटे में खाली कराने के नोटिस चस्पा

छावनी परिषद की दुकानों में जमे दुकानदारों पर बेदखली का संकट गहरा गया है। छावनी परिषद ने 13 दुकानों में 48 घंटे में दुकानें खाली कराने के नोटिस चस्पा किए है। नोटिस मिलने के बाद दुकानदारों में खलबली मची हुई है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 08:38 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 08:38 AM (IST)
छावनी परिषद के दुकानदारों पर फिर संकट, 13 दुकानों को 48 घंटे में खाली कराने के नोटिस चस्पा
छावनी परिषद के दुकानदारों पर फिर संकट, 13 दुकानों को 48 घंटे में खाली कराने के नोटिस चस्पा

जागरण संवाददाता, नैनीताल : छावनी परिषद की दुकानों में जमे दुकानदारों पर बेदखली का संकट गहरा गया है। छावनी परिषद ने 13 दुकानों में 48 घंटे में दुकानें खाली कराने के नोटिस चस्पा किए है। नोटिस मिलने के बाद दुकानदारों में खलबली मची हुई है। पिछले साल जनवरी में छावनी परिषद की भवाली रोड की 20 दुकानों की नए सिरे से नीलामी कराने के लिए पुराने कारोबारियों को दुकान खाली कराने के नोटिस जारी किये गए थे। कैंट प्रबंधन के साथ बैठक करने के साथ ही कारोबारियों द्वारा कैंट बोर्ड के सामने भी अपना पक्ष रखा। बोर्ड ने कारोबारियों को दुकानों के लीगल दस्तावेज पेश करने की बात कही थी।

छावनी परिषद के सीईओ कोली आकाश संतोष ने बताया कि कारोबारी ठोस दस्तावेज पेश नहीं कर पाए। इसी साल आठ अप्रैल को कैंट बोर्ड ने दुकानें को खाली कर नए सिरे से नीलामी प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए। जिसके बाद 20 कारोबारियों ने कैंट बोर्ड के फैसले को चुनौती देते हुए जिला कोर्ट में वाद दायर किया। द्वारा 18 सितंबर को कोर्ट ने 13 कारोबारियों के वाद को खारिज करते हुए कैंट बोर्ड का फैसला यथावत रखने का निर्णय दिया। कोर्ट के फैसले के बाद मंगलवार को 13 दुकानों में नोटिस चस्पा कर दिए गए है। दुकानें खाली कराने के लिए 48 घंटे का समय लिया गया है। शुक्रवार को पीपीई एक्ट 1971 के तहत दुकाने खाली कराने की कार्रवाई की जाएगी।

छावनी परिषद एक्ट 2006 की धारा 267 के तहत तय है कार्रवाई

कैंट सीईओ ने बताया कि कैंट क्षेत्र में पूर्व में छावनी परिषद एक्ट 1924 के तहत दुकानों को कुछ फीसदी की शुल्क बढ़ोत्तरी कर एक साल के लिए रिनुअल कर दिया जाता था। सालों से यही चलता आ रहा था मगर छावनी परिषद 2006 की धारा 267 के तहत अब नियमों में बदलाव कर दिया गया है। नियम के तहत अब तीन से पांच वर्ष के भीतर कैंट की दुकानों की नये सिरे से निलामी करानी अनिवार्य है।

बेदखली से खड़ा हुआ रोजीरोटी का संकट

कैंट की ओर से 48 घंटे के भीतर दुकानें खाली करने के नोटिस मिलने के बाद कारोबारियों में खलबली मची हुई है। साथ ही 13 कारोबारियों पर आजीविका का संकट गहरा गया है। कारोबारियों का कहना है कि कोविड के चलते बीते वर्ष से वैसे ही तंगी झेल रहे है, अब कैंट द्वारा बेदखली का नोटिस जारी कर उनके पेट पर लात मार रहा है।

नया नहीं है विवाद, बीत गए 34 साल

कैंट दुकानों को खाली कराने का विवाद नया नहीं है। 1987 में पहली बार दुकानदारों को बेदखली का नोटिस जारी किया गया था। जिसके बाद मामला जिला कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा, मगर कोर्ट के निर्णय पर दुकानदार और कैंट प्रबंधन एकमत नहीं है।

रक्षा राज्यमंत्री से भी लगाई थी गुहार

बीते वर्ष दुकानों से बेदखली का नोटिस मिलने के बाद कारोबारियों ने रक्षा राज्यमंत्री व सांसद अजय भट्ट के सामने बेदखली रोकने की गुहार लगाई थी, जिस पर सांसद द्वारा भी दुकानदारों को भरोसा दिलाया था। अब एक बार फिर दुकानदार रक्षा राज्य मंत्री से उम्मीद लगाए हैं।

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