Forest Fire Uttarakhand : अफसरों की नजर में उत्तराखंड के 10 जिलों में एक भी पेड़ नहीं जला
Forest Fire Uttarakhand धधकते जंगलों की आग बुझाकर हरियाली और वन्यजीवों को बचाने के लिए पांच साल बाद फिर से राज्य सरकार को सेना की मदद लेनी पड़ गई। मगर वन विभाग के अफसर मानते है कि उत्तराखंड के दस जिलों में अभी तक एक भी पेड़ नहीं जला।
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : Forest Fire Uttarakhand : धधकते जंगलों की आग बुझाकर हरियाली और वन्यजीवों को बचाने के लिए पांच साल बाद फिर से राज्य सरकार को सेना की मदद लेनी पड़ गई। मगर वन विभाग के अफसर मानते है कि उत्तराखंड के दस जिलों में अभी तक एक भी पेड़ नहीं जला। सिर्फ तीन जिलों में 9630 पेड़ नष्ट हुए हैं। बाकी जो आग है वो जमीनी स्तर पर लगी गई। उससे सिर्फ छोटी झाड़ी और सूखे पत्तों को ही नुकसान हुआ है। लेकिन महकमा यह जरूर स्वीकार कर रहा है कि जंगल की आग से अभी तक 5117563 रुपये की वनंसपदा को नुकसान हुआ है।
एक जनवरी से सात अप्रैल तक प्रदेश में कुल 1927.15 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आ चुका है। इसमें सबसे ज्यादा 595.45 हेक्टेयर जंगल पौड़ी गढ़वाल का शामिल है। मगर वन विभाग की नजर में यहां अभी तक एक भी पेड़ पूरी तरह से नहीं जला। जबकि पड़ोसी जिले चमोली में 7025 पेड़ खाक हो गए। इसके अलावा देहरादून में पांच पेड़ों का नुकसान हुआ। वहीं, कुमाऊं मंडल में सिर्फ अल्मोड़ा जिले के जंगलों को इस कैटेगिरी में शामिल किया गया है। यहां अभी तक 2600 पेड़ पूरी तरह आग की चपेट में आए। वहीं, उत्तराखंड वन विभाग की वेबसाइट के मुताबिक प्रभावित जंगल में 92.05 हेक्टेयर प्लांटटेशन वाला भी नष्ट हो गया। यानी पुरानी मेहनत पर पानी फिर गया।
35 प्रतिशत पौधे बच गए तो प्लांटटेशन सफल: आग के दौरान हरियाली के चपेट में आने की वजह से पेड़ों को हुए नुकसान का आंकलन करने के साथ ही पौधरोपण के बाद जिंदा बचे पौधों का आंकलन करने के लिए भी महकमे का तरीका कुछ अलग है। हर साल पौधे के बचने की दर अलग होती है। अगर आठ साल बाद कुल पौधों में से 35 प्रतिशत भी अपनी जगह पर मिल जाए तो वन विभाग प्लांटटेशन को सफल मान लेता है।
जानिए क्या कहते हैं वन संरक्षक
वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त जीवन चंद्र जोशी ने बताया कि जंगल की आग अधिकांश जमीनी स्तर पर होती है। जिस वजह से बड़े पेड़ों को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं होता। वन विभाग पूरी गंभीरता के साथ आग पर काबू पाने में जुटा है।
आग से पेड़ों को जिलेवार नुकसान
अल्मोड़ा 2600
बागेश्वर शून्य
चमोली 6955
चंपावत शून्य
देहरादून पांच
हरिद्वार शून्य
नैनीताल शून्य
पौड़ी गढ़वाल शून्य
पिथौरागढ़ शून्य
रुद्रप्रयाग शून्य
टिहरी शून्य
ऊधमसिंह नगर शून्य
उत्तरकाशी शून्य
आंकड़े उत्तराखंड वन विभाग की वेबसाइट से लिए गए हैं।
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