17 साल बाद भी मेडिकल कालेज रुद्रपुर में एक भी डाक्टर की नियुक्ति नहीं

रुद्रपुर में मेडिकल कालेज बनाने के लिए पहली बार 2004 में घोषणा हुई थी। तब राज्य में एनडी तिवारी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी। स्वास्थ्य मंत्री थे रुद्रपुर के विधायक तिलकराज बेहड़। तब से जनप्रतिनिधि लगातार लोगों को मेडिकल कालेज का झुनझुना थमाए जा रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 07:51 AM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 07:51 AM (IST)
17 साल बाद भी मेडिकल कालेज रुद्रपुर में एक भी डाक्टर की नियुक्ति नहीं
17 साल बाद भी मेडिकल कालेज रुद्रपुर में एक भी डाक्टर की नियुक्ति नहीं

गणेश जोशी, हल्द्वानी : रुद्रपुर में मेडिकल कालेज बनाने के लिए पहली बार 2004 में घोषणा हुई थी। तब राज्य में एनडी तिवारी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी। स्वास्थ्य मंत्री थे रुद्रपुर के विधायक तिलकराज बेहड़। तब से जनप्रतिनिधि लगातार लोगों को मेडिकल कालेज का झुनझुना थमाए जा रहे हैं। हकीकत यह है कि कालेज के नाम पर केवल अस्पताल का भवन बना है और केवल प्राचार्य की नियुक्ति हुई है। न ही डाक्टर हैं और ही स्टाफ। प्राचार्य के पास अपना वाहन तक नहीं है। निर्माण कार्य ठप हैं। अस्पताल केवल कोविड उपकरण रखने तक सीमित है। कालेज कब तक शुरू हो पाएगा, फिलहाल इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

निर्माण एजेंसी बदल दी, काम अधर में

मेडिकल कालेज बनाने के लिए करीब 338 करोड़ रुपये की योजना है। अधिकांश बजट जारी भी हो चुका है। निर्माण कार्य के लिए पहले ईपीआइएल को जिम्मेदारी दी गई थी। इस एजेंसी की शिकायतें आने लगी थी। काम नहीं हो रहा था। राज्य सरकार ने अब उत्तर प्रदेश जल निगम को निर्माण कार्य की जिम्मेदारी दी है। फिर भी काम अधर में ही लटका हुआ है।

नाम के लिए विवाद, काम का पता नहीं

कालेज बना नहीं, लेकिन नाम को लेकर विवाद हो गया है। भाजपा सरकार ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे स्वर्गीय पंडित राम सुमेर शुक्ला के नाम से कालेज का नाम रखा। कांग्रेसी चाहते थे कि सरदार बल्लभ भाई पटेल के नाम से रखा जाए। इसको लेकर काफी दिनों तक विवाद होता रहा, लेकिन कालेज जल्द बने इसके लिए प्रयास नहीं दिखे।

नौ महीने पहले सृजित, नियुक्ति का पता नहीं

नौ महीने पहले यानी एक जनवरी 2021 को शासन ने 927 पदों के लिए विज्ञप्ति जारी की थी। इसमें 193 संकाय सदस्य और बाकी अन्य पद हैं। अब तक इनकी नियुक्तियों का कुछ भी पता नहीं है।

अस्पताल कोविड के नाम से संचालित

राजकीय मेडिकल कालेज में 300 बेड का अस्पताल बन गया है, लेकिन यह अस्पताल केवल कोविड के लिए है। इसमें आक्सीजन प्लांट आदि की सुविधा है, लेकिन चलाने वाले नहीं हैं। अन्य किसी मरीज का इलाज भी इस अस्पताल में संभव नहीं है। फिलहाल महज औपचारिकता भर के लिए अस्पताल खुला है।

15 साल बाद भी नहीं चालू हो सका मेडिकल कॉलेज

विधायक राजेश शुक्ला कहते हैं कि 15 साल बाद भी मेडिकल कालेज चालू नहीं हो सका है। अभी भी एमबीबीएस के 100 छात्र-छात्राओं के लिए एकेडमिक भवन आदि का निर्माण नहीं हुआ है। इसके लिए जल्द ही टेंडर होने वाला है। फिलहाल 300 बेड का अस्पताल संचालित होने लगा है।

मेडिकल कालेज के लिए अभी बहुत काम होना

राजकीय मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. केसी पंत का कहना है कि मेडिकल कालेज बनाने के लिए अभी बहुत काम होना है। डाक्टर से लेकर नान टीचिंग स्टाफ की नियुक्तियां होनी हैं। निर्माण कार्य पूरा होना है। अगर स्टाफ मिल जाता तो काम और तेजी से होता। इसके लिए सरकारी स्तर पर प्रयास चल रहे हैं।

पद सृजित हो चुके : प्राचार्य

चिकित्सा शिक्षा के अपर निदेशक डा. आशुतोष सयाना ने बताया कि पद सृजित हो चुके हैं। कालेज के निर्माण कार्य को लेकर शासनादेश हो चुका है। निदेशालय से लेकर शासन स्तर पर रुद्रपुर मेडिकल कालेज शुरू कराने को लेकर तेजी से काम चल रहा है।

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