ध्वनि प्रदूषण जोन घोषित किए बिना स्टोन क्रशर की अनुमति नहीं : नैनीताल हाईकोर्ट
सरकार को यह बताने को कहा कि राज्य में ध्वनि प्रदूषण जोन घोषित किए हैं या नहीं। सरकार की ओर से कहा गया कि संबंधित को 141 का नोटिस जारी कर क्षेत्र विशेष औद्योगिक क्षेत्र घोषित हो जाता है।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने प्रदेश की खनन नीति, अवैध खनन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति के बिना संचालित स्टोन क्रशरों के खिलाफ दायर 38 से अधिक जनहित याचिकाओं पर गुरुवार को एक साथ सुनवाई की। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि राज्य में ध्वनि प्रदूषण जोन घोषित किए हैं या नहीं? इसपर सरकार की ओर से बताया गया कि संबंधित क्षेत्र में 141 का नोटिस जारी करते हैं और वह औद्योगिक क्षेत्र घोषित हो जाता है। अलग से ध्वनि प्रदूषण जोन घोषित नहीं करते। इसपर कोर्ट ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण जोन घोषित करें, अन्यथा स्टोन क्रशर को अनुमति नहीं दी जाएगी। मामले में अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में बाजपुर निवासी रमेश लाल, मिलख राज, रामनगर निवासी शैलजा साह, त्रिलोक चंद्र, जयप्रकाश नौटियाल, आनंद सिंह नेगी, वर्धमान स्टोन क्रशर, शिवशक्ति स्टोन क्रशर, बलविंदर सिंह, सुनील मेहरा, गुरमुख स्टोन क्रशर सहित अन्य 38 से अधिक जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इनमें से कुछ याचिकाओं में प्रदेश की खनन नीति को चुनौती दी गयी है तो कुछ में आबादी क्षेत्रों में संचालित स्टोन क्रशर हटाने की मांग की गई है।
शैलजा साह की याचिका में कहा गया है कि अल्मोड़ा के मासी में रामगंगा नदी से मात्र 60 मीटर दूरी पर रामगंगा स्टोन क्रशर लगाया गया है, जो पीसीबी के नियमों का उल्लंघन है। बाजपुर के रमेश लाल ने कोसी नदी में स्टोन क्रशरों की ओर से अवैध खनन का मामला उठाया। रामनगर के आनन्द नेगी की याचिका में ध्वनि प्रदूषण जोन घोषित करने की मांग की गई है।
सरकार का तर्क खारिज
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जोन निर्धारण नीति का ड्राफ्ट तैयार कर औद्योगिक विकास को दे दिया है, जिसमें क्षेत्रों का वर्गीकरण है। नियमावली भी बना दी गई है। भूमि के 143 होते ही औद्योगिक क्षेत्र घोषित हो जाता है। कोर्ट ने सरकार के इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि सरकार विदेशों जैसी व्यवस्था चाहती है।
जोन निर्धारण नीति की ड्राफ्ट कॉपी व नियमावली तलब
हाई कोर्ट ने जयपुर-दिल्ली कॉरिडोर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां कॉरिडोर के आसपास कोई कृषि कार्य नहीं होता। यह पर्यावरण से जुड़ा गंभीर मामला है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण नियमावली में आवासीय, शांत व औद्योगिक जोन घोषित करने का उल्लेख है। लेकिन यहां आज तक ऐसा नहीं किया गया। इसपर कोर्ट ने सरकार से जोन निर्धारण नीति की ड्राफ्ट कॉपी व नियमावली तलब कर लिया।
नहीं आए मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता रावत को जिम्मेदारी
मामले में राज्य सरकार की ओर से भारत सरकार के सोलिसीटर जनरल तुषार मेहता को बहस के लिए अनुरोध पत्र भेजा गया था। गुरुवार को मेहता को बहस में शामिल होना था, मगर वह नहीं आ सके। इसके बाद राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत को बहस के लिए नामित किया गया।