अल्मोड़ा में अवैध कटान व मलबे निस्तारण में लापरवाही पर एनजीटी ने लोनिवि पर लगाया दो लाख रुपये का जुर्माना
डीएफओ महातिम सिंह यादव ने बताया कि प्राधिकरण की कोर्ट ने व्यवस्था दी कि जनहित में रोड जरूरी पर है नियमों के तहत बननी चाहिए। पेड़ों का पातन व मलबे का निस्तारण गलत पाया गया। दो लाख रुपये एक माह के भीतर जमा करने का आदेश दिया है।
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : द्वाराहाट वन रेंज की बहुचर्चित गगास ऊंड़ीमहादेव सैलापानी रोड के निर्माण में नियमों की अनदेखी लोनिवि पर भारी पड़ गई। जांच में पेड़ों का अवैध कटान और मलबे का सही निस्तारण न होने पर हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने लोनिवि पर दो लाख रुपये जुर्माना ठोका है। विभाग को अर्थदंड की यह राशि माहभर के भीतर डीएफओ कार्यालय में जमा करानी होगी।
अल्मोड़ा वन प्रभाग के द्वाराहाट रेंज अंतर्गत निर्माणाधीन गगास ऊंड़ीमहादेव सैलापानी रोड के मामले में मलबा निस्तारण में अनियमितता के संबंध में एनजीटी (नई दिल्ली) में अजय बिष्टï बनाम उत्तराखंड राज्य व अन्य मामला विचाराधीन था। इसमें न्यायालय के आदेश पर बड़ी कार्रवाई की गई है। दरअसल, सड़क निर्माण को वर्ष 2010 में मंजूरी मिली थी। लोनिवि ने रोड कटान शुरू किया लेकिन क्षेत्रवासियों से समरेखण के मामले में बड़ा विवाद हो गया था। इधर दस वर्ष बीत जाने के बावजूद सड़क निर्माण शुरू न हो सका। इस पर एनजीटी ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय (देहरादून) को जांच के निर्देश दिए। बीती चार मार्च को टीसी नौटियाल (भारतीय वन सेवा) ने स्थलीय निरीक्षण किया।
इसमें डीएमएफओ महातिम सिंह यादव, एइ लोनिवि राजेश कुमार व खजान सिंह रावत, राजस्व विभाग से लीना चंद्र आदि शामिल रहे। पर्यावरण मंत्रालय ने जांच रिपोर्ट एनजीटी को भेजी। इस पर प्राधिकरण ने फैसला सुनाया कि रोड निर्माण जनहित में है लेकिन पर्यावरण नियमों का अनुपालन भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। मलबा निस्तारण नियमानुसार न किए जाने तथा पेड़ों का अवैध कटान पर जुर्माने के आदेश दिए।
डीएफओ महातिम सिंह यादव ने बताया कि प्राधिकरण की कोर्ट ने व्यवस्था दी कि जनहित में रोड जरूरी पर है नियमों के तहत बननी चाहिए। पेड़ों का पातन व मलबे का निस्तारण गलत पाया गया। लोनिवि को क्षतिपूर्ति के तौर पर दो लाख रुपये वन विभाग के पक्ष में एक माह के भीतर जमा करने का आदेश दिया है। इस राशि का उपयोग वन क्षेत्र के सुधार में किया जाएगा।