Almora Medical College में डाक्टर पूरे न अस्पताल में सर्जरी की सुविधा
Almora Medical College सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की पहचान वर्षों से है। इसके बावजूद वहां पर स्वास्थ्य सुविधाएं दुरुस्त नहीं हो सकी हैं। ऐसा नहीं कि प्रयास नहीं हुए। जनप्रतिनिधियों ने नौ साल पहले ही अल्मोड़ा में मेडिकल कॉलेज का सपना दिखा दिया था।
गणेश जोशी, हल्द्वानी : सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की पहचान वर्षों से है। इसके बावजूद वहां पर स्वास्थ्य सुविधाएं दुरुस्त नहीं हो सकी हैं। ऐसा नहीं कि प्रयास नहीं हुए। जनप्रतिनिधियों ने नौ साल पहले ही अल्मोड़ा में मेडिकल कॉलेज का सपना दिखा दिया था। लोगों की उम्मीदें बढ़ी, तब से जनप्रतिनिधि बदले, सरकारें बदलीं, मगर मेडिकल कॉलेज नहीं बन सका। इसे लापरवाही कहें या फिर अनदेखी, हकीकत यह है कि क्षेत्रवासियों के साथ बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के दावे खोखले निकले। मिशन-2022 यानी फिर से सत्ता में आने का खेल शुरू हो गया है। इसके बावजूद अभी तक अल्मोड़ा में न पर्याप्त डाक्टर हैं और ही अन्य जरूरी सुविधाएं। अस्पताल में सर्जरी तक की सुविधा नहीं है। जागरण अभियान में मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा की पड़ताल करती रिपोर्ट।
कभी बजट तो कभी कोई और अड़ंगा
नौ साल में भी मेडिकल कॉलेज नहीं बना पाना, जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की असफलता ही कही जाएगी। 2012 में मेडिकल कॉलेज की नींव पड़ चुकी थी। अब भी काम अधूरा है। 327 करोड़ के प्रोजेक्ट के लिए 215 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। इस बीच कभी बजट का अड़ंगा लगा रहा तो कभी उत्तर प्रदेश निर्माण निगम की मनमानी रही। कभी नेताओं की बेवजह की दखलंदाजी। सरकार ने निर्माण कार्य की जिम्मेदारी अब पेयजल निर्माण निगम को दी है, लेकिन पुराने काम को लेकर विवाद खत्म नहीं हुआ है। इसके चलते उत्तर प्रदेश निर्माण निगम बड़े काम नहीं कर रहा है।
पूरे पहाड़ को मिलता फायदा
मेडिकल कॉलेज बनने से अल्मोड़ा जिले के अलावा बागेश्वर, पिथौरागढ़, चम्पावत के मरीजों को लाभ मिलता। तीन जिलों से मरीजों को अल्मोड़ा रेफर किया जाता है, लेकिन मरीज को सही इलाज नहीं मिल पाता है। ऐसे में मरीज या तो रास्ते में दम तोड़ देते हैं या फिर हल्द्वानी के सरकारी व निजी अस्पतालों में धक्के खाने को मजबूर रहते हैं।
सर्जन तैनात हैं, लेकिन सर्जरी नहीं होती
अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में सर्जरी विभाग में प्रोफेसर से लेकर एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर की तैनाती है। एनेस्थेटिक भी हैं। इनकी नियुक्ति हुए छह महीने से अधिक समय हो गया है, लेकिन अभी तक सर्जरी का लाभ नहीं मिल रहा। मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में जब सर्जरी से संबंधित मरीज पहुंचते हैं, उन्हें रेफर कर दिया जाता है।
ये हैं मुख्य कमियां -12 फीसद डाक्टरों की कमी - नॉन टीचिंग स्टाफ की अभी नियुक्ति नहीं - डाक्टरों के लिए पेयजल की सुविधा नहीं - आवासीय सुविधा के लिए भवन तक नहीं - सर्जरी के लिए अभी तक ऑपरेशन थिएटर नहीं बन सका - 120 बेड का एक और अस्पताल का भवन बनने का काम लंबित - अस्पताल व मेडिकल कॉलेज को कनेक्ट करने वाली सड़क अधूरी - पैथेालॉजी व फॉरेसिंक लैब नहीं बनी - हॉस्टल तक नहीं बनाए जा सके
ऐसे चली गई पूर्व प्राचार्य की कुर्सी
अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज का काम तो पूरा हुआ नहीं, लेकिन विवाद होता रहा। प्राचार्य प्रो. आरजी नौटियाल कॉलेज निर्माण में जुटे थे, लेकिन कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य से हुए विवाद में उनकी कुर्सी चली गई। जबकि उनकी गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने किसी मरीज के संबंध में बात करने को लेकर बैठक में विधानसभा उपाध्यक्ष का फोन रिसीव कर लिया था।
एनएमसी के मानकों को जल्द पूरा कर लेंगे
विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी की दिक्कत थी, जो अब पूरी होने को है। पांच छह चिकित्सक और चाहिए। देहरादून से पूरे नहीं पहुंचे। उम्मीद है अक्टूबर आखिर में अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में प्रवेश प्रक्रिया शुरू करा देंगे। एनएमसी के मानकों को जल्द पूरा कर लेंगे। आवास की कमी है। 30 करोड़ रुपये आने हैं। 12 करोड़ रुपये पेयजल लाइन के लिए आवंटित हो गया है। सीएनडीएस ने सड़क निर्माण भी शुरू कर दिया है। निर्माण निगम सीवर का काम कर रहे हैं। हम पूरी तैयारी में हैं।
उपनेता प्रतिपक्ष ने सरकार पर लगाया आरोप
उपनेता प्रतिपक्ष करन सिंह माहरा ने बताया कि जिस उम्मीद से कांग्रेस सरकार ने मेडिकल कॉलेज की नींव रखी थी, उसका निर्माण शुरू कराया, भाजपा सरकार ने जानबूझ कर उसे मूर्तरूप देने में देरी की। भाजपा की सियासी मंशा ठीक नहीं हैं। पुराने मेडिकल कॉलेज की प्रगति रोक कर नए की घोषणाओं से उलझाया जा रहा है, जबकि अब तक मान्यता के साथ अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू हो जानी चाहिए थी, लेकिन सरकार के लोग संसाधनों का ठेका कौन लेगा, नियुक्ति का जिम्मा किसे दें, इसी जोड़तोड़ में मेडिकल कॉलेज का मखौल उड़ा रहे।
समय रहते सुविधाएं विकसित करे सरकार
पूर्व स्वास्थ्य निदेशक डा. जेसी दुर्गापाल का कहना है कि सरकार को समय रहते मेडिकल कॉलेज में सुविधाएं विकसित करनी चाहिए, तभी तो चिकित्सक आएंगे। सरकार नियुक्ति ही करे और सुविधा न दे तो डाक्टर क्यों आना चाहेंगे? एनएमसी को पता है कि मेडिकल कॉलेज मानक पूरे नहीं कर पा रहा है, इसीलिए टीम अल्मोड़ा नहीं आ रही है। यही हाल रहे तो पिथौरागढ़ का नया मेडिकल कॉलेज भी सपना ही रह जाएगा।
संशाधनों को किया जाएगा पूरा
राजकीय मेडिकल कॉलेज, अल्मोड़ा के प्राचार्य प्रो. सीपी भैंसोड़ा, ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में नेशनल मेडिकल कमीशन का निरीक्षण होना है। इसके लिए तैयारी चल रही है। लेटर ऑफ परमिशन के मुताबिक, संसाधन जुटा लिए गए हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं से लेकर कॉलेज में अन्य जरूरी कामों को भी पूरा किया जा रहा है। इसी सत्र से मेडिकल कॉलेज को शुरू कराने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।