छह साल से सड़क बनाने में लापरवाही और अब बना रहे कोरोना का बहाना
पूर्व ग्रामप्रधान मदनमोहन सिंह कुमइयां ने लोनिवि की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि उच्चाधिकारियों राज्य व केंद्र सरकार को कई पत्र भेज चुके। मगर मोटा बजट बहाकर तंत्र चुप्पी साधे है। बाद की तमाम सड़कें तैयार हो चुकी हैं।
जागरण संवाददाता, द्वाराहाट (अल्मोड़ा) : पर्वतीय क्षेत्रों में ग्रामीण विकास के दावे हवाई साबित हो रहे हैं। सुदूर डोटलगांव व बांसुलीसेरा को जोडऩे के लिए स्वीकृत सड़क छह वर्ष बाद भी नहीं बन सकी है। मोटरमार्ग पर पुल निर्माण को आधे अधूरे ढांचे तंत्र की हीलाहवाली बयां कर रही। हास्यास्पद पहलू यह कि छह साल पहलू मंजूर सड़क में देरी पर अब विभागीय अधिकारी कोरोना का बहाना कर रहे। नतीजतन, डेढ़ हजार की आबादी सड़क सुख से वंचित है। सरकारी महकमें की भी महिम न्यारी है पहले छह सालों तक योजना में बराबर लापरवाही बरती गई। और जाकर कोरोना के चलते काम न हो पाने का बहाना बनाया जा रहा है।
तहसील मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर स्थित डोटलगांव के लिए वर्ष 2015-16 में रोड स्वीकृत हुई थी। 4.55 करोड़ रुपये मिले। बांसुलीसेरा से सड़क निर्माण की शुरूआत भी हुई। मगर लोनिवि की लेटलतीफी से 7.5 किमी लंबी रोड छह वर्षों में भी पूरी नहीं बनी। यही नहीं नरेगाढ़ पर करीब 62 लाख की लागत से बनने वाला पुल भी अस्तित्व में नहीं आ सका है। आधे अधूरे निर्मित स्क्रबर अब क्षतिग्रस्त हो गए हैं। चौड़ीकरण, दीवार निर्माण का कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया। तब कहीं डामरीकरण का कार्य होगा।
पूर्व ग्रामप्रधान मदनमोहन सिंह कुमइयां ने लोनिवि की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि उच्चाधिकारियों, राज्य व केंद्र सरकार को कई पत्र भेज चुके। मगर मोटा बजट बहाकर तंत्र चुप्पी साधे है। बाद की तमाम सड़कें तैयार हो चुकी हैं। मगर बांसुलीसेरा-डोटलगांव रोड को उपेक्षित छोड़ दिया गया है। उन्होंने चेताया कि जरूरत पड़ी तो जनांदोलन भी किया जाएगा।
लोनिवि के सहायक अभियंता जेसी पांडे ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण निर्माण में देरी हुई। हमें खुद चिंता है। इसी कारण एक ठेकेदार पर पेनाल्टी डाल दूसरे को नोटिस थमाया गया है। दीवार निर्माण की निविदा शीघ्र निकाली जा रही है। मार्ग को शीघ्र पूरा कर दिया जाएगा।
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