धार्मिक लिहाज से खास आषाढ़ मास शुरू, डाक्टर बोले- सेहत को लेकर अधिक ध्यान देने की जरूरत
शुक्रवार 25 जून से आषाढ़ मास की शुरुआत होने जा रही है। आषाढ़ को धार्मिक के साथ स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत खास बताया गया है। आयुर्वेद में आषाढ़ को ऋतुओं का संधिकाल बताया गया है। आषाढ़ से मौसम परिवर्तन होने लगता है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : शुक्रवार 25 जून से आषाढ़ मास की शुरुआत होने जा रही है। आषाढ़ को धार्मिक के साथ स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत खास बताया गया है। आयुर्वेद में आषाढ़ को ऋतुओं का संधिकाल बताया गया है। आषाढ़ से मौसम परिवर्तन होने लगता है। गर्मी खत्म होती है और बारिश की शुरुआत होती है। ज्योतिष के मुताबिक आषाढ़ महीने में सूर्य के मिथुन राशि में रहने से रोगों के बढ़ने का खतरा रहता है।
जलजनित रोगों का खतरा अधिक
वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक डा. विनय खुल्लर बताते हैं कि आषाढ़ से गर्मी समापन की ओर बढऩे लगती है। बारिश का मौसम शुरू हो गया है। दो मौसमों के संधिकाल की वजह से इन दिनों बीमारियों का संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। नमी की वजह से फंगस व इनडाइजेशन की समस्या भी बढ़ जाती है। बरसात वह समय है जब मलेरिया, डेंगू जैसे जलजनित रोग व वाइरल फीवर ज्यादा होते हैं। ऐसे में खान-पान पर ध्यान देते हुए कुछ सावधानी अपनाकर बीमारियों से बचा जा सकता है।
नीम, गिलोय व त्रिफला का सेवन फायदेमंद
डा. खुल्लर का कहना है कि फंगस से बचने के लिए नीम, लौंग, दालचीनी, हल्दी व लहसुन का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए। त्रिफला चूर्ण को गरम पानी के साथ लेना चाहिए। गिलोय का सेवन भी फायदेमंद है। अचार, दही व अन्य खट्टी चीजें खाने से बचना चाहिए।
तेल व अधिक मसाला नुकसानदेह
बरसात में पानी से संबंधित बीमारियों का ज्यादा खतरा रहता है। पानी उबालकर पीना चाहिए। रसीले फलों का सेवन ज्यादा करना चाहिए। इन दिनों में आम और जामुन खाने चाहिए। पाचन शक्ति सही रखने के लिए मसालेदार और तली भुनी चीजें कम खानी चाहिए। साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है।
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