कन्या पूजन व कलश विसर्जन के साथ आज होगा नवरात्र का पारायण
महानवमी गुरुवार को मनेगी। नवमी को कन्या पूजन के साथ कलश विसर्जन किया गया। ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी बताती हैं कि स्वेच्छा व सामथ्र्य अनुसार कोई भी भक्त कन्या पूजन कर सकता है।जिन्होंने पहला नवरात्र व आखिरी नवरात्र का उपवास रखा हो वह भी कन्या पूजन कर सकते हैं।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : नवरात्र की महानवमी गुरुवार को मनेगी। नवमी को कन्या पूजन के साथ कलश विसर्जन किया गया। ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी बताती हैं कि स्वेच्छा व सामथ्र्य अनुसार कोई भी भक्त कन्या पूजन कर सकता है। ऐसे भक्त जिन्होंने पहला नवरात्र व आखिरी नवरात्र का उपवास रखा हो वह भी कन्या पूजन कर सकते हैं। अपने घर में मां की अखंड ज्योति जलाकर कलश स्थापना की हो ऐसे भक्तों को भी कन्या पूजन करना चाहिए।
दो से 10 वर्ष की कन्याओं को पूजें
नवरात्रि की सभी तिथियों को एक-एक कन्या व नवमी को नौ कन्याओं के विधिवत पूजन का विधान है। एक बालक को बटुक भैरव के रूप मे पूजा जाता है। कन्याओं को माता गौरी के समान पवित्र व पूजनीय मानी गई है। शास्त्रानुसार कन्या पूजन के लिए दो वर्ष से लेकर दस वर्ष की कन्याओं को शामिल किया जा सकता है। एक वर्ष से छोटी कन्याओं की पूजा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि वह प्रसाद नहीं खा सकतीं। उन्हें प्रसाद-पूजन आदि का ज्ञान नहीं होता।
इस तरह करें कन्या पूजन
ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी ने बताया कि सबसे पहले बालक व फिर नौ देवियों को आसन प्रदान करें। श्रद्धा पूर्वक बैठाकर कन्याओं के पैर दूध व जल से धोकर पोंछ लें। सभी के मस्तक पर तिलक लगाएं व घी के दीपक से आरती करें। श्रद्धा पूर्वक बनाए भोजन को ग्रहण करने का आग्रह करें। ध्यान रखें कि बालक को सबसे पहले भोजन शुरू कराएं। पूरी-हलवा, खीर और चने की सब्जी, फल, मिठाई आदि को शामिल करना चाहिए। सभी कन्याओं को भेंट स्वरूप अपनी सामथ्र्य अनुसार दक्षिणा व उपहार आदि भेंट करें। कन्या पूजन के बाद उपवास का पारायण करना चाहिए।