Haldwani Medical College : प्रोफेसर विहीन विभाग का नेशनल मेडिकल कमीशन ने किया निरीक्षण

Haldwani Medical College मेडिकल कॉलेज में एमडी और एमएस की सीटों के लिए इन दिनों नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) का निरीक्षण चल रहा है। प्रोफेसर विहीन फॉरेंिसक विभाग समेत कई विभागों का निरीक्षण महज औपचारिकता के लिए है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 09:05 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 09:05 PM (IST)
Haldwani Medical College : प्रोफेसर विहीन विभाग का नेशनल मेडिकल कमीशन ने किया निरीक्षण
अभी तक चार विभागों का निरीक्षण हो चुका है। अभी कुछ और विभागों का निरीक्षण होना है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: राजकीय मेडिकल कॉलेज में एमडी और एमएस की सीटों के लिए इन दिनों नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) का निरीक्षण चल रहा है। प्रोफेसर विहीन फॉरेंिसक विभाग समेत कई विभागों का निरीक्षण महज औपचारिकता के लिए है। इन विभागों में पर्याप्त स्टाफ नहीं होने की वजह से पीजी की सीटें मिलना मुश्किल है।

फॉरेसिंक विभाग में प्रोफेसर सीपी भैंसोड़ा अभी तक प्राचार्य की भी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उनका अल्मोड़ा स्थानांतरण होने के बाद पद रिक्त हो गया। इस विभाग में पीजी की एक सीट थी। अब वहां पर प्रोफेसर के अलावा एसोसिएट व असिस्टेंट प्रोफेसर भी नहीं हैं। एकमात्र असिस्टेंट प्रोफेसर संविदा पर कार्यरत हैं। ऐसे में अब इस विभाग में पीजी सीट खत्म हो जाएगी। हालांकि, एनएमसी की टीम ने निरीक्षण किया। रिकार्ड भी देखे। इसके अलावा टीम ने चेस्ट व टीबी विभाग, एनेस्थीसिया विभाग व पीडियाट्रिक विभाग का निरीक्षण किया। इनमें से अधिकांश विभागों में प्रोफेसर, एसोसिएट व असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। ऐसे में पीजी सीट मिलने की संभावना है। पीडियाट्रिक विभाग में प्रोफेसर का पद रिक्त है। प्राचार्य प्रो. सीपी भैंसोड़ा ने बताया कि एनएमसी की टीम के कई सदस्य दो दिन से निरीक्षण पर हैं। अभी तक चार विभागों का निरीक्षण हो चुका है। अभी कुछ और विभागों का निरीक्षण होना है।

पीजी सीट मिलने को लेकर संकट

राजकीय मेडिकल कालेज लगातार फैकेल्टी की कमी के चलते पीजी की सीटों पर संकट खड़ा हो गया है। सर्जरी विभाग में इस बार पीजी की सीट मिलना मुश्किल है। वहीं कई अन्य विभाग भी ऐसे हैं जहां पर स्टाफ की कमी है। कहीं प्रोफेसर नहीं हैं तो कहीं एसोसिएट व असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं हैं। कुछ विभागों में सीनियर रेजीडेंट की कमी भी बनी हुई है। आलम यह है कि मेडिकल कालेज में सौ से अधिक एडी एमएस की सीटें हो जानी चाहिए थीं, वहां पचास सीटें मिलना मुश्किल हो गया है।

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