Sanskarshala : नागरिकों के छोटे-बड़े योगदान से समृद्ध होगा राष्ट्र, प्रत्येक व्यक्ति का अस्तित्व उसके राष्ट्र से जुड़ा

राष्ट्र हितम् सर्वोपरि। विश्व पटल पर व्यक्ति की पहचान उसके राष्ट्र अथवा देश से होती है। प्रत्येक व्यक्ति का अस्तित्व उसके राष्ट्र से जुड़ा होता है। जिसका सबसे ज्वलंत उदाहरण अफगानिस्तान की घटना है। आज अफगानिस्तान के नागरिक विश्व के अनेक देशों में शरण पाने के लिए भटक रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 02:34 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 02:34 PM (IST)
Sanskarshala : नागरिकों के छोटे-बड़े योगदान से समृद्ध होगा राष्ट्र, प्रत्येक व्यक्ति का अस्तित्व उसके राष्ट्र से जुड़ा
Sanskarshala : नागरिकों के छोटे-बड़े योगदान से समृद्ध होगा राष्ट्र, प्रत्येक व्यक्ति का अस्तित्व उसके राष्ट्र से जुड़ा

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : राष्ट्र हितम् सर्वोपरि। विश्व पटल पर व्यक्ति की पहचान उसके राष्ट्र अथवा देश से होती है। प्रत्येक व्यक्ति का अस्तित्व उसके राष्ट्र से जुड़ा होता है। जिसका सबसे ज्वलंत उदाहरण अफगानिस्तान की घटना है। आज अफगानिस्तान के नागरिक अपना सब कुछ छोड़ विश्व के अनेक देशों में शरण पाने के लिए भटक रहे हैं। भले ही उन्होंने व्यक्तिगत स्तर पर बहुत कुछ करके धन, संपदा, यश आदि अर्जित किया हो, लेकिन राष्ट्र के कमजोर पडऩे के कारण उनकी वर्षों की मेहनत व्यर्थ हो गई। हम सभी को इससे सबक लेकर स्वयं के हित से पहले राष्ट्र हित के बारे में सोचना होगा।

एक नागरिक जो समाज, समुदाय या देश में रहता है वो देश, समुदाय या समाज के लिए बहुत से कर्तव्यों व जिम्मेदारियों को रखता है, जिन्हें उसे सही तरीके से निभाना होता है। देश के प्रति कर्तव्यों को कभी भी नजरंदाज नहीं करना चाहिए। क्योंकि भले ही वर्तमान में हमें इससे अधिक फर्क न पड़े, लेकिन हमारी आने वाली पीढ़ी को इसका भुगतान या फल अवश्य मिलता है। हमारे देश को ब्रिटिश शासन काल से आजादी मिले बहुत वर्ष बीत गए, जो बहुत से महान स्वतंत्रता सेनानियों की राष्ट्र सेवा, बलिदान व संघर्ष का परिणाम थी। वे देश के प्रति अपने कर्तव्यों के वास्तविक अनुशरणकर्ता थे। जिन्होंने राष्ट्र को सर्वोपरि मानकर अपना अमूल्य जीवन गंवाकर स्वतंत्रता के सपने को हकीकत बनाया।

ये सत्य है कि हम ब्रिटिश शासन से आजाद हो गए, लेकिन लालच, अपराध, भ्रष्टाचार, गैर जिम्मेदारी, सामाजिक मुद्दों, बालश्रम, गरीबी, आतंकवाद, कन्या भ्रूण हत्या जैसे अनेक गैर कानूनी गतिविधियों से आज तक आजाद नहीं हुए। सरकार द्वारा नियम, कानून, अधिनियम बनाना या अभियान, कार्यक्रम चला लेना ही काफी नहीं है। वास्तविकता में सभी गैर-कानूनी गतिविधियों से मुक्त होने के लिए इन सभी का प्रत्येक भारतीय नागरिक के द्वारा कड़ाई से अनुसरण किया जाना चहिए। हमारी विडंबना है कि हम अपने अधिकार तो प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन कर्तव्यों की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते। हर नागरिक अधिकारों के पहले देश के प्रति कर्तव्यों के बारे में सोचे तो यह सबसे बड़ी राष्ट्र सेवा की श्रेणी में होगा।

भारतीय नागरिकों को अपना राजनीतिक नेता चुनने का अधिकार है जो देश के विकास को सही दिशा में आगे ले जा सके। अपने राजनीतिक नेता को वोट देते समय हमें पूर्ण रूप से विचार करके बिना किसी दबाव में ऐसा नेता चुनना चाहिए जो भ्रष्ट मानसिकता से मुक्त हो और देश का नेतृत्व करने में सक्षम हो। नागरिकों के लिए यह जरूरी है कि वो वास्तविक अर्थों में आत्मनिर्भर होने के लिए अपने कर्तव्यों का व्यक्तिगत रूप से पालन करें। राष्ट्र निर्माण में सबसे अहम भूमिका माता-पिता की रहती है। वे ही बच्चों के प्राथमिक आधारभूत विद्यालय होते हैं। माता-पिता ही देश के भविष्य को पोषण देने के लिए जिम्मेदार हैं। जैसे संस्कार माता-पिता अपने बच्चों को देंगे, कल वे वैसे ही समाज का निर्माण करेंगे। जिसका प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से देश के विकास पर पड़ेगा।

सेंट लॉरेंस सीनियर सेकेंडरी की प्रधानाचार्य अनीता जोशी ने बताया कि माता-पिता के रूप में सभी को देश के प्रति अपने कर्तव्यों को समझना होगा व अपने बच्चों को उचित शिक्षा दिलाने के साथ उनके स्वास्थ्य, स्वच्छता व नैतिक विकास की देखभाल करनी चाहिए। बच्चों में अच्छी आदतें, शिष्टाचार व मातृभूमि के प्रति कर्तव्यों को बचपन से ही सिखाना चाहिए। माता-पिता के बाद राष्ट्र को एक अच्छा नागरिक देने में दूसरे स्थान पर शिक्षक आता है। शिक्षक ही पूरे देश के लोगों को राष्ट्र सेवा के लिए तैयार करने में सहयोग दे सकता है। शिक्षक के मार्गदर्शन के बलबूते ही अच्छे डाक्टर, इंजीनियर, प्रवक्ता, व्यवसायी, सैनिक आदि तैयार हो सकते हैं। जो आगे चलकर राष्ट्र की सेवा कर सकते है।

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