नैनीताल नगर पालिका में अब बंद होगी मुफ्तखोरी, देना होगा बाजार दर किराया

लंबे समय से पालिका की ओर से किराया बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। अब बढ़ते कर्ज व वित्तीय दिक्कतों को देखते हुए पालिका आवासों का किराया बढ़ाने को मजबूर हुई है। नई दरों के हिसाब से आवास का न्यूनतम किराया तीन हजार रुपये मासिक वसूला जाएगा।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2021 09:12 AM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2021 09:12 AM (IST)
नैनीताल नगर पालिका में अब बंद होगी मुफ्तखोरी, देना होगा बाजार दर किराया
90 फीसद से अधिक आवासों का किराया 500 से 1000 रुपये मासिक से भी कम है।

नैनीताल, किशोर जोशी। वित्तीय संकट से जूझ रही व पांच करोड़ कर्ज में फंसी नगरपालिका को अब होश आया है। अब पालिका अपने आवासों का किराया ना केवल बाजार दर पर करने जा रही है बल्कि सत्तर के दशक से बिना किराये पालिका आवासों में रह रहे दो सौ दूसरे विभाग के कर्मचारियों को किराया देना होगा। पालिका ने इसका इसका खाका तैयार कर दिया है। 

नैनीताल नगरपालिका उत्तराखंड में मसूरी के बाद दूसरी सबसे पुरानी नगरपालिका है। 1977 तक पालिका के अधीन ही शिक्षा, स्वास्थ्य, वन विभागों का संचालन होता था मगर फिर विभागों का स्वतंत्र अस्तित्व कर दिया गया। पालिका की ओर से मल्लिताल, तल्लीताल  क्षेत्र में कर्मचारियों के लिए आवासों का निर्माण किया गया। इन आवासों का किराया न्यूनतम रखा गया, वर्तमान सकल घरेलू उत्पाद व महंगाई के सूचकांक के हिसाब से बेहद अव्यवहारिक। मसलन किराया का स्लैब है सौ रुपये से छह हजार तक। 90 फीसद से अधिक आवासों का किराया 500 से 1000 रुपये मासिक से भी कम है।

वित्तीय संकट से जूझ रही पालिका ने कर्मचारियों के वेतन व पेंशन के लिए शासन से 5 करोड़ का ब्याजरहित ऋण लिया है, जिसे वित्त आयोग की ओर से एडजस्ट किया जाएगा। अब पालिका की समझ आ गया कि वेतन व पेंशन के लिए आय के रास्ते तलाशने ही होंगे। पालिका में ढाई सौ सेवारत व इतने ही करीब पेंशनर्स हैं। लंबे समय से पालिका की ओर से किराया बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है मगर इससे आगे बात नहीं बढ़ी। अब बढ़ते कर्ज व वित्तीय दिक्कतों को देखते हुए पालिका आवासों का किराया बढ़ाने को मजबूर हुई है। नई दरों के हिसाब से आवास का न्यूनतम किराया तीन हजार रुपये मासिक वसूला जाएगा। पालिका के 500 से अधिक आवास हैं। उम्मीद है इस फैसले से सालाना करीब डेढ़ करोड़ अतिरिक्त आय होगी।

बंद होगी मुफ्तखोरी

आवासों को लेकर मुफ्तखोरी अब पूरी तरह बंद होगी। पालिका के करीब 200 आवासों में दूसरे विभागों के कर्मचारी रहते हैं। ये विभाग 70 के दशक तक पालिका का हिस्सा थे। फिर स्वतंत्र अस्तित्व के बाद से इन आवासों पर कर्मचारियों का कब्जा बना है और वो ना किराया दे रहे, ना उनका हाउस रेंट कट रहा है। अब पालिका इन आवासों का भी किराया तय करने के साथ वसूलेगी। ईओ अशोक कुमार वर्मा ने फिलहाल इतना कहा कि पालिका आवासों का किराया  वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से तय होगा। तभी वित्तीय दिक्कत कम हो सकती हैं।

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