बीते साल आर्थिक संकट से जूझा नैनीताल जू, अन्य वर्षों की तुलना में 26 फीसदी ही हुई आय
बीते साल चिड़ियाघर को भी आर्थिक संकट झेलना पड़ा। यही कारण है कि 2019 की तुलना में बीते वर्ष चिड़ियाघर 26 फीसदी आय ही जुटा पाया। राज्य सरकार से आर्थिक सहायता तो मिली है लेकिन प्राणियों के रखरखाव की चिंता अभी भी चिड़ियाघर प्रबंधन को सता रही है
नैनीताल, नरेश कुमार : कोरोना संक्रमण के चलते पर्यटन गतिविधियां ठप होने के कारण चिड़ियाघर को भी आर्थिक संकट झेलना पड़ा। यही कारण है कि 2019 की तुलना में बीते वर्ष चिड़ियाघर 26 फीसदी आय ही जुटा पाया। राज्य सरकार से आर्थिक सहायता तो मिली है, लेकिन प्राणियों के रखरखाव की चिंता अभी भी चिड़ियाघर प्रबंधन को सता रही है। हालांकि नए साल में पर्यटकों की आमद बढ़ने से कारोबार अच्छा होने की उम्मीद जताई जा रही है।
बता दें कि हर वर्ष लाखों की संख्या में सरोवर नगरी पहुँचने वाले पर्यटक एक बार चिड़ियाघर जाकर वन्यजीवों का दीदार करना नही भूलते। जहां पर्यटकों के विजिट से हर वर्ष प्रबंधन को करीब ढाई करोड़ की आमदनी हो जाती है। जिसमें से करीब 75 फीसदी आमदनी मार्च से जुलाई तक रहने वाले सीजन से हो जाती है। इसी आमदनी से प्राणियों और वनस्पतियों के रखरखाव, अस्थायी कर्मियों का मानदेय और अन्य व्यवस्थाएं की जाती है। लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के चलते 18 मार्च से चिड़ियाघर को बंद कर दिया गया। अनलॉक में छूट मिलने के बाद 19 जून को विभाग द्वारा चिड़ियाघर दोबारा खोल दिया गया। जिसके बाद विभाग को अच्छी आमदनी होने की उम्मीद थी, लेकिन खुलने के बावजूद बहुत ही कम संख्या में पर्यटक चिड़ियाघर पहुँचे।
बीते वर्ष के सापेक्ष 26 फीसदी ही हुई आय
रोजाना लाखों कमाने वाले चिड़ियाघर की आमदनी हजारों तक सिमट कर रह गयी है। 2019 में 262988 पर्यटकों के पहुँचने से इसे करीब 24380300 रुपयों की आय हुई थी। वहीं बीते वर्ष जू में महज 66386 पर्यटक ही पहुँचे। जिससे सिर्फ 6351550 रुपयों की आय ही जू को हो पाई।
राज्य सरकार से मिले बजट से मिली राहत
आर्थिक संकट गहराने के बाद जू प्रबंधन के सामने प्राणियों के रखरखाव व भरण पोषण तक का संकट खड़ा हो गया। जिस कारण जू की उधारी ही करीब 50 लाख पहुँच गयी थी। जिसके बाद जू प्रबंधन द्वारा राज्य सरकार से बजट की मांग की गई। जू क्षेत्राधिकारी अजय रावत ने बताया कि सरकार से करीब 80 लाख बजट अभी तक मिल चुका है। जिससे अधिकतर उधारी चुकता की जा चुकी है। अभी भी करीब 15 लाख रुपये उधारी बची हुई है। नए साल में पर्यटकों की आमद बढ़ी है। जिससे इस संकट से उभरने की उम्मीद है।