अवैध निर्माण मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने की सुनवाई, वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी कर कही ये बात

हाईकोर्ट नैनीताल ने खटीमा में वक्फ बोर्ड की भूमि पर अवैध दुकानों के निर्माण मामले में एसडीएम की रिपोर्ट पर अभी तक कार्रवाई नहीं किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी कर पूछा है कि अभी तक क्या कार्रवाई की गई।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 24 Nov 2021 05:32 PM (IST) Updated:Wed, 24 Nov 2021 05:32 PM (IST)
अवैध निर्माण मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने की सुनवाई, वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी कर कही ये बात
अवैध निर्माण मामले में हाईकोर्ट नैनीताल ने की सुनवाई, वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी कर कही ये बात

नैनीताल, जागरण संवाददाता : हाई कोर्ट नैनीताल ने खटीमा में वक्फ बोर्ड की भूमि पर अवैध दुकानों के निर्माण मामले में एसडीएम की रिपोर्ट पर अभी तक कार्रवाई नहीं किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी कर 22 दिसंबर तक यह बताने को कहा है कि एसडीएम की जांच रिपोर्ट पर अभी तक क्या कार्रवाई की गई।

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में खटीमा निवासी शादाब रजा की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा है कि खटीमा में जामा मस्जिद व रहमानिया मदरसा में जो वक्फ बोर्ड की भूमि है, उस पर वक्फ बोर्ड की कमेटी द्वारा 34 दुकानों का निर्माण करके अपने ही लोगों को आवंटित कर दिया। जबकि वक्फ बोर्ड ने कहा था कि बोर्ड की भूमि पर जो भी निर्माण कार्य किया जाएगा , वह बोर्ड के एक्ट के आधार पर किया जाएगा, इसकी सूचना बोर्ड को देंगे।

दुकानों का आवंटन करने के लिए दो समाचार पत्रों में विज्ञप्ति भी जारी करेंगे परन्तु कमेटी द्वारा इसकी कोई सूचना नही दी। दुकानों के आवंटन करने हेतु एक ही पेपर में विज्ञप्ति जारी की, जिस दिन यह विज्ञप्ति छपी उस दिन उस पेपर के सारे प्रतियां कमेटी ने स्वयं ही खरीद ली ताकि किसी को पता न चल सके। ये सारी दुकानें कमेटी ने अपने ही लोगो को कैश लेकर आवंटित कर दी। जब इसकी शिकायत जिलाधिकारी से की तो उन्होंने इसकी जांच एसडीएम से कराई ।

जांच में दो से ढाई करोड़ रुपये का घोटाला पाया गया। जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कमेटी के अधिकतर सदस्य ऐसे है, जिनपर आपराधिक मुकदमे भी चल रहे है। जबकि वक्फ एक्ट के अनुसार ऐसे लोग कमेटी के सदस्य नही हो सकते। यह रिपोर्ट जब वक्फ बोर्ड देहरादून को भेजी गई तो, बोर्ड ने कमेटी को भंग कर एसडीएम को प्रशासक नियुक्त कर दिया गया। कुछ समय बाद बोर्ड ने अपना यह आदेश राजनीतिक दबाव में वापस ले लिया तथा कमेटी को फिर से बहाल कर दिया।

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