थानों से विदा हो रही प्रथम विश्व युद्ध से प्रयोग में लाई जा रही थ्री नॉट थ्री राइफल
प्रथम विश्व युद्ध से प्रयोग में लाई जा रही थ्री नॉट थ्री राइफल को पुलिस थानों से विदा किया जा रहा है। जिसके बदले अब जिले के सभी 14 थानों में सेल्फ लोडिंग राइफल का वितरण किया जा रहा है। नैनीताल जिले को 302 राइफल मिली हैं।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : प्रथम विश्व युद्ध से प्रयोग में लाई जा रही थ्री नॉट थ्री राइफल को पुलिस थानों से विदा किया जा रहा है। जिसके बदले अब जिले के सभी 14 थानों में सेल्फ लोडिंग राइफल का वितरण किया जा रहा है। नैनीताल जिले को 302 राइफल मिली हैं। विशिष्ट खूबियों की वजह से सेल्फ लोडिंग राइफल को सुरक्षा व बेहतर पुलिसिंग के लिए कारगर माना जा रहा है।
प्रथम विश्व युद्ध यानी 1914 से प्रयोग की जा रही थ्री नॉट थ्री राइफल उत्तर प्रदेश पुलिस को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सन 1945 में दी गई। आजादी के बाद से लगातार इसका प्रयोग यूपी और बाद में उत्तराखंड पुलिस करती रही। मैनुअल तरीके से लोड की जाने वाली राइफल को अब एसएलआर के जरिये रीप्लेस किया जा रहा है। सभी थानों से थ्री नॉट थ्री को हटाने का आदेश मिल गया है।
डिप्टी एसपी शांतनु परासर ने बताया कि सबसे पहले सेल्फ लोडिंग राइफल कोतवाली पुलिस को दी जा रही है। इसके बाद यह अन्य थानों तक पहुंचाई जाएगी। हल्द्वानी कोतवाली में मौजूद 37 राइफल को पुलिस लाइन नैनीताल ने बदल दिया है। जबकि भवाली, भीमताल व मुक्तेश्वर में भी एसएलआर का वितरण किया जा रहा है। आरआइ जगदीश चंद्र ने बताया कि शीघ्र ही सभी थानों में राइफल पहुंच जाएगी।
एक बार में 20 राउंड फायरिंग
सेल्फ लोडिंग राइफल यानी एसएलआर से एक बार में 20 राउंड फायरिंग की जा सकती है। जबकि थ्री नॉट थ्री में हर फायर के बाद कारतूस बदलना पड़ता है। इसके अतिरिक्त थ्री नॉट थ्री पुरानी होने के चलते बार-बार तकनीकि खराबी से भी गुजर रही थी।