नगर निगम अधिकारियों की मिलीभगत से रसूखदारों ने सामुदायिक भवन पर किया कब्जा
इंदिरानगर वार्ड 32 में 21 वर्ष पहले बना सामुदायिक भवन आज तक जनहित के काम नहीं आया। सरकारी दस्तावेजों में भवन का कोई रखवाला तक नहीं है। नगर निगम कर्मियों व अधिकारियों की मिलीभगत से राजनीतिक रसूखदारों ने भवन पर अपना कब्जा जमा लिया।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : इंदिरानगर वार्ड 32 में 21 वर्ष पहले बना सामुदायिक भवन आज तक जनहित के काम नहीं आया। सरकारी दस्तावेजों में भवन का कोई रखवाला तक नहीं है। नगर निगम कर्मियों व अधिकारियों की मिलीभगत से राजनीतिक रसूखदारों ने भवन पर अपना कब्जा जमा लिया। ऐसे गंभीर सवालों के जवाब नगर निगम के दस्तावेजों में भी दर्ज नहीं हैं।
जनहित से जुड़े गंभीर विषय को लेकर भीम आर्मी कार्यकर्ता सोमवार को नगर आयुक्त से मिले। संगठन के कुमाऊं मंडल अध्यक्ष सिराज अहमद ने कहा कि 21 साल निगम प्रशासन ने भवन को जनता के लिए नहीं खोल पाया और न भवन को अपने कब्जे में लिया। यहां तक की भवन का लोकार्पण तक नहीं हुआ। नगर निगम सूचना अधिकार के तहत दो बार में भी भवन से संबंधित पूरी जानकारी तक उपलब्ध नहीं करा पाया। ऐसे में साफ है कि भवन को निगम के कब्जे में नहीं लेने में अधिकारियों की मिलीभगत रही है।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। भीम आर्मी ने मामले की गहराई से छानबीन कराने व निगम की संपत्ति को खुर्द-बुर्द कराने वालों पर कार्रवाई की मांग की है। गंभीरता नहीं दिलाने पर भीम आर्मी आंदोलन के लिए बाध्य होगी। यहां संरक्षक जीआर टम्टा, जिलाध्यक्ष नफीस अहमद खान, सुंदर लाल बौद्ध, मोहन लाल आर्या, हरीश लोधी, इरशाद अहमद, सुलेमान मलिक आदि शामिल रहे।
आरटीआइ में उपलब्ध कराई अधूरी जानकारी
भवन के संबंध में नगर निगम प्रशासन की ओर से सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) के तहत उपलब्ध कराई जानकारी आधी-अधूरी है। निगम यह बता पाया कि वर्ष 2000 में एनसीडीपी के तहत 1.35 लाख की लागत से नगरपालिका हल्द्वानी ने भवन निर्मित कराया। भवन की जमीन को नजूल की बताया है, जिसका भू-स्वामित्व उत्तराखंड सरकार का है।
इन सवालों के घेरे में नगर निगम
मामले की जांच कराई जाएगी
नगर आयुक्त हल्द्वानी पंकज उपाध्याय ने बताया कि भीम आर्मी द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है। प्रथम दृष्टया मामला अत्यधिक गंभीर है। मामले को दिखाकर सत्यता के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।