जिनके पास अंतिम संस्कार के पैसे नहीं उनकी जिम्मेदारी उठा रहा मुक्तिधाम, एक साल में किया 80 का क्रिया कर्म

अधिकांश लोगों की आर्थिक स्थिति खराब थी या फिर इलाज में सारे पैसे खर्च हो गए। ऐसे में मुक्तिधाम समिति व दिशा सामाजिक संगठन द्वारा लकड़ी समेत अंत्येष्टि का अन्य खर्चा उठाया जा रहा है। समिति के मंत्री रामबाबू जायसवाल का कहना है कि मदद को आगे भी प्रयास करेंगे।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 12:33 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 12:33 PM (IST)
जिनके पास अंतिम संस्कार के पैसे नहीं उनकी जिम्मेदारी उठा रहा मुक्तिधाम, एक साल में किया 80 का क्रिया कर्म
मार्च 2020 से कोरोना का साया मंडराने लगा। अब स्थिति ज्यादा खराब है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : लॉकडाउन से अब तक राजपुरा स्थित मुक्तिधाम घाट पर 80 ऐसे शव आ चुके हैं। जिनकी अंत्येष्टि के लिए लोगों के पास लकड़ी के पैसे तक नहीं थे। इसमें कोविड संक्रमित शव भी थे। अधिकांश लोगों की आर्थिक स्थिति खराब थी या फिर इलाज में सारे पैसे खर्च हो गए। ऐसे में मुक्तिधाम समिति व दिशा सामाजिक संगठन द्वारा लकड़ी समेत अंत्येष्टि का अन्य खर्चा उठाया जा रहा है। समिति के जायदाद मंत्री रामबाबू जायसवाल का कहना है कि संकट की स्थिति में वह अपने स्तर से हरसंभव मदद को आगे भी प्रयास करेंगे।

मार्च 2020 से कोरोना का साया मंडराने लगा। अब स्थिति ज्यादा खराब है। पहले संक्रमित शवों की सिर्फ मुक्तिधाम में अंत्येष्टि होती थी। मगर चार दिन पहले गौला रोखड़ में अस्थायी श्मशान घाट तैयार कर लिया गया। जहां नगर निगम द्वारा पूरी व्यवस्था की जा रही है। हालांकि, मानव फर्ज को निभाते हुए मुक्तिधाम समिति द्वारा अब तक 80 लोगों की निश्शुल्क अंत्येष्टि की गई है।

अस्थि विसर्जन का जिम्मा भी

गौलापार रोखड़ में अस्थायी श्मशान घाट का संचालन मंगलवार से शुरू हो गया है। गुरुवार को 33 कोरोना संक्रमित शवों की यहां अंत्येष्टि की गई। हालांकि, अभी लोगों में इस बात को लेकर असमंजस है कि गौला रोखड़ में अस्थि रखने के लिए कोई जगह नहीं है। जबकि महामारी के दौर की वजह से लोग कुछ समय बाद विसर्जन करना चाहते हैं। लोगों की परेशानी को देखते हुए मुक्तिधाम समिति ने प्रशासन के अफसरों संग वार्ता कर निर्णय लिया कि वह अस्थियां अपने वहां सुरक्षित रख लेंगे। स्वजन जब चाहे लेकर जा सकते हैं।

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