नेपाल सीमा से लगे मडलक गांव में निकाला मां वैष्णवी का डोला, नेपाल से भी पहुंचे श्रद्धालु

देवी रथों में बगौटी के रथ में देव डांगर खीमा देवी मजपीपल में खीम सिंह पुजारी मौड़ा में बची देवी मड़लक में शिवपाल सिंह व देवी मैत बुंगा के रथ में हयात सिंह जाख जिंडी के डोले में पूरन सिंह देव डांगरों के रूप में सवार थे।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 06 Nov 2021 08:29 PM (IST) Updated:Sat, 06 Nov 2021 08:29 PM (IST)
नेपाल सीमा से लगे मडलक गांव में निकाला मां वैष्णवी का डोला, नेपाल से भी पहुंचे श्रद्धालु
सीमा से गले नेपाल के गांवों के श्रद्धालुओं ने भी मेले में शिरकत कर पूजा अर्चना की।

जागरण संवाददाता, लोहाघाट (चम्पावत) : नेपाल सीमा से लगे मडलक क्षेत्र का प्रसिद्ध वैष्णवी मेला हर्षोल्लास के साथ संपन्न हो गया है। विभिन्न गांवों से (देमैत) देवी का मायका बुंगा पहुंचे जत्थों व रथों में सवार देव डांगरों ने मंदिर की परिक्रमा कर लोगों को आशीर्वाद दिया। सीमा से गले नेपाल के गांवों के श्रद्धालुओं ने भी मेले में शिरकत कर पूजा अर्चना की।

मेले का मुख्य आकर्षण मजपीपल, मडलक, बगौटी व देवी मैत बूंगा  से निकले देवी रथ व जत्थे रहे। मडलक, बगौटी, सेलपेडू, सुनकुरी, मजपीपल, कन्टुकरा, सागर, धौनी बुंगा, गुरेली, चामा, डुंगरालेटी, रौल-धौन, गुडमांगल, जमरसों, बड़म, केलानी, ककरतोला, सल्टा सहित दर्जनों गांवों के लोगों द्वारा शिरकत कर पुण्य लाभ कमाया गया। दोपहर दो बजे बगौटी से शुरू हुए जत्थे ने मडलक पहुंच कर देवी मंदिर की परिक्रमा की। इस जत्थे में सेल्ला, केलानी, सुनकुरी, रजवा आदि गांवों के लोग शामिल थे। सीमांत गांव बगौटी में देवी ने अवतरित होकर लोगों के जत्थे को चलने का आदेश दिया। दुर्गम पहाडिय़ों को पार करते हुए जत्था मजपीपल पहुंचा जहां मजपीपल के देवी रथ के साथ जत्थे का समागम हुआ। यहां से मजपीपल के डोले के साथ बगौटी के जत्थे ने मडलक की ओर प्रस्थान किया।

मडलक देवी मंदिर पहुंचने के बाद जत्थों व डोलों द्वारा मंदिर परिसर की परिक्रमा की गई। परिक्रमा में मडलक, बगौटी व मजपीपल के जत्थे व देवी रथ शामिल थे। इन देवी रथों में बगौटी के रथ में देव डांगर खीमा देवी, मजपीपल में  खीम सिंह पुजारी, मौड़ा  में  बची देवी, मड़लक में  शिवपाल सिंह व देवी मैत बुंगा के रथ में हयात सिंह, जाख जिंडी के डोले में  पूरन सिंह  देव  डांगरों के रूप में  सवार थे। रथों के आगे आगे कालिका के देव डांगर ने भक्तों को आशीर्वाद दिया। उसके बाद तीनों रथों ने देमैत बुंगा की ओर प्रस्थान किया। बुंगा पहुंच कर यहां सागर गांव के सेल्ला लोगों द्वारा मायके पक्ष की भूमिका निभाते हुए मां भगवती व काली के रूप में अवतरित डांगरों को वस्त्र भेंट किए गए। डोलों में सवार देव डांगरों ने देवी के मायके वालों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद दिया।

मायके पक्ष के सागर गांव के सेल्ला लोगों द्वारा रथों व जत्थों को विदाई दी गई। जत्थों व देव रथों के मडलक स्थित मुख्य मंदिर पहुंचने के बाद देव डांगरों द्वारा श्रद्धालुओं को दर्शन देकर मन चाहे वरदान का आशीर्वाद दिया। आगे आगे रथ चल रहे थे पीछे पीछे महिलाओं ने मांगलिक गीतों का गायन किया। मेले में सीमा से लगे नेपाल के कुछ गांवों के लोग भी पहुंचे। भुवन चंद्र भट्ट, सतीश पांडेय, हरीश चंद्र, मदन कलौनी,  गंगा सिंह, बद्री सिंह, संतोष सिंह, लक्ष्मण सिंह, बहादुर सिंह, दीना नाथ पांडेय, देव सिंह धौनी,प्रभाकर, मोहन पांडेय, द्वारिका सिंह, पुष्कर सिंह, खष्टी बल्लभ, अनिल, आनंद, हुकम सिंह आदि  सहित क्षेत्र के लोगों  द्वारा मेले के सफल संचालन में सहयोग किया गया।

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