उत्तरांखंड की सात नदियों में 30 जून तक होगा खनन, केंद्र की मंजूरी
केंद्र सरकार ने प्रदेश की सात नदियों में 30 जून तक खनन की अनुमति दे दी है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: आवेदन करने के एक हफ्ते के भीतर ही केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने उत्तराखंड की सात नदियों में बकाया उपखनिज निकालने की अनुमति जारी कर दी है। राजस्व व रोजगार के लिहाज से यह निर्णय बेहद अहम है। वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुद मामले में पैरवी की थी। केंद्र का लेटर मिलने के बाद संबंधित डीएफओ को सत्र खुलवाने को कह दिया गया है। खनन के इतिहास में ऐसा पहला बार होगा कि 31 मई बाद भी उपखनिज निकाला जाएगा। कोरोना की वजह से विशेष परिस्थितियों में यह फैसला लिया गया है।
लॉकडाउन की वजह से इस बार का खनन सत्र फीका रहा। एक माह तक बंद रहने के बाद जब खनन शुरू हुआ तो मजदूर, गाड़ियों व समय की कमी के कारण निकासी का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। सिर्फ गौला में ही दस लाख घनमीटर उपखनिज छूट गया। 31 मई को सभी नदियां बंद भी हो गई। क्योंकि इसके बाद वन विभाग की नदियों में खनन नहीं होता। केवल निजी पट्टों से निकासी का नियम है। वहीं, बीते शुक्रवार को शासन ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को प्रस्ताव भेज बकाया उपखनिज निकालने की परमिशन मांगी थी। गुरुवार शाम इस संबंध में आदेश भी जारी हो गया। अब 30 जून तक हल्द्वानी की गौला, चोरगलिया की नंधौर, टनकपुर की शारदा, रामनगर की कोसी व दाबका, पौड़ी की मलन व हरिद्वार की कोटावली नदी से उपखनिज निकाला जाएगा। हजारों वाहन स्वामियों, श्रमिकों के साथ खनन से रोजगार से जुड़े अन्य लोगों को भी इससे फायदा होगा। हालांकि, मानसून सीजन शुरू होने की वजह से वन निगम को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।