कोरोना की पहली लहर में घर लौटे प्रवासी सब्जी उत्पादन से कर रहे कमाई
कोरोना की लहर धीमी पडऩे के बाद अधिकांश फिर से नौकरी में चले गए लेकिन कुछ लोगों ने घर में रहकर ही खेती बाड़ी से नाता जोड़ लिया। बाहर लौटे लोगों को दूसरी लहर में परेशान होना पड़ रहा है जबकि रोजगार का रास्ता तलाशने वाले प्रवासी सुकून में हैं।
जागरण संवाददाता, चम्पावत : कोरोना महामारी ने सबसे अधिक नुकसान रोजगार की तलाश में बाहरी राज्यों में गए प्रवासियों को भुगतना पड़ रहा है। पिछले साल लॉकडाउन के बाद देश के विभिन्न राज्यों और जिलों में होटल और कंपनियों में कार्य करने वाले लोग घर लौट आए। कोरोना की लहर धीमी पडऩे के बाद अधिकांश प्रवासी फिर से नौकरी की तलाश में चले गए लेकिन कुछ लोगों ने घर में रहकर ही खेती बाड़ी से नाता जोड़ लिया। बाहर लौटे लोगों को फिर कोरोना की दूसरी लहर में परेशान होना पड़ रहा है जबकि घर में रहकर रोजगार का रास्ता तलाशने वाले प्रवासी सुकून में हैं।
पंजाब के लुधियाना में कपड़ा फैक्ट्री में कार्य करने वाले सुईं के छमनियां निवासी जगत प्रकाश को गत वर्ष लॉकडाउन में अन्य प्रवासियों की तरह ही नौकरी छोड़ अपने घर लौटना पड़ा। इसी क्षेत्र के पऊ गांव निवासी प्रदीप तलनियां भी दिल्ली में फैक्ट्री का काम छोड़ घर लौट आए। कोरोना का असर कम होने के बाद जहां अन्य लोगों ने फिर से दिल्ली, पंजाब, गुडग़ांव, मुंबई आदि स्थानों पर जाकर नौकरी की तलाश की वहीं इन दोनों प्रवासियों ने दुबारा नौकरी की तलाश का विकल्प छोड़कर घर में ही कृषि और डेयरी का कार्य कर रोजगार करने का रास्ता चुना। एक साल के भीतर दोनों ने इस काम में अपने आप को पूरी तरह खपा दिया। अब वे सब्जी उत्पादन कर अच्छा रोजगार अर्जित कर रहे हैं।
हालांकि दोनों को कृषि एवं औद्यानिक कार्य के लिए ऋण आवेदन के बाद भी सरकारी विभागों से कोई मदद नहीं मिली। प्रदीप तलनियां इस समय पांच नाली क्षेत्र में सब्जी उत्पादन कर रहे हैं तो जगत प्रकाश 10 नाली क्षेत्र में सब्जी उत्पादन के साथ फल उत्पादन कर रहे हैं। जगत प्रकाश बीते सीजन में 25 हजार रुपये के माल्टा व गलगल बेच चुके हैं तो प्रदीप 20 हजार रुपये की सब्जी बेच चुके हैं। दोनों को उम्मीद है कि आगामी सीजन में वे सब्जी बेचकर अच्छी आय अर्जित करेंगे। उन्होंने बताया कि नौकरी की तलाश में वे फिर से बाहर जाते तो वर्तमान में फिर नौकरी छोड़कर घर आना पड़ता। कहा कि उन्हें इस कार्य से काफी सुकून मिल रहा है।
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