महाकुभं कोविड टेस्ट फर्जीवाड़ा : आरोपित मैक्स कॉरपोरेट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट में दायर की याचिका

कुंभ में कोरोना जांच में फर्जीवाड़े का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। फर्जीवाड़े की आरोपी कंपनी मैक्स कॉर्पोरेट सर्विसेज ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है। याचिका में एफआईआर को निरस्त करने करने की मांग करने के साथ ही गिरफ्तारी पर भी रोक लगाने की मांग की है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 02:54 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 02:54 PM (IST)
महाकुभं कोविड टेस्ट फर्जीवाड़ा : आरोपित मैक्स कॉरपोरेट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट में दायर की याचिका
महाकुभं कोविड टेस्ट फर्जीवाड़ा : आरोपित मैक्स कॉरपोरेट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट में दायर की याचिका

नैनीताल, जागरण संवाददाता : कुंभ में कोरोना जांच में फर्जीवाड़े का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। कोविड टेस्ट फर्जीवाड़े की आरोपी कंपनी मैक्स कॉर्पोरेट सर्विसेज ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है। याचिका में एफआईआर को निरस्त करने करने की मांग करने के साथ ही गिरफ्तारी पर भी रोक लगाने की मांग की है। उल्लेखनीय है गुरुवार को सीएमओ हरिद्वार ने कोतवाली के कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। जो आपदा प्रबंधन एक्ट के साथ 420,467,468,128 समेत अन्य धाराओं में था। इस मामले में सोमवार को सुनवाई होगी।

जानिए क्या है पूरा मामला

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हरिद्वार महाकुंभ में लाखों की तादाद में श्रद्धालु आए और हर दिन हजारों की संख्या में कोरोना जांच की गई, यहां संक्रमण दर बेहद कम थी। यह आंकड़े खुद में चौंकाने वाले थे। पर ताज्जुब इस बात का है कि जिसे विशेषज्ञ अप्रत्याशित बता रहे थे, विभागीय अफसर उस पर आंख मूंदे रहे। अब फर्जीवाड़ा सामने आने पर जांच की जा रही है। कोरोना महामारी को देखते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने यहां रोजाना 50 हजार जांच करने का आदेश दिया। ऐसे में इस दौरान सर्वाधिक जांच हरिद्वार में ही की गईं।

कोविड जांच के नतीजे शुरू से संदेहास्पद

हरिद्वार में कोविड जांच के नतीजे शुरुआती चरण से ही संदेह के दायरे में रहे। कारण ये कि दरअसल, हरिद्वार में संक्रमण दर अन्य जनपदों की तुलना में बेहद कम थी। यह मामला मीडिया में आया और सामाजिक संस्था सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन ने इसका सोशल आडिट कराने की मांग भी की, लेकिन मेला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर यह पता चलता है कि एक से तीस अप्रैल के बीच उत्तराखंड में कुल कोरोना जांच में 58 फीसद हरिद्वार जनपद में की गईं। इस बीच हरिद्वार में संक्रमण दर उत्तराखंड से 80 फीसद कम रही।

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