जिला विकास प्राधिकरणों को बिना नक्शे के निर्माण कार्यों में छूट देने के मामले में सरकार से मांगा जवाब

सरकार ने 1 मार्च 2021 व जून 2021 में दो आदेश जारी कर इन क्षेत्रों में बिना नक्शे के निर्माण कार्य करने की अनुमति दे दी। याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार के ये दोनों आदेश नियम विरुद्ध है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 04:54 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 04:54 PM (IST)
जिला विकास प्राधिकरणों को बिना नक्शे के निर्माण कार्यों में छूट देने के मामले में सरकार से मांगा जवाब
राज्य सरकार, नगर निगम ऋषिकेश से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।

जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाइकोर्ट ने 2016 में बने जिला विकास प्राधिकरणों को बिना नक्शे के निर्माण कार्यो में छूट दिए जाने से सम्बंधित सरकार के पहली मार्च 2021 व जून 2021 के आदेश को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार, नगर निगम ऋषिकेश से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। अगली सुनवाई के लिए 24 नवम्बर की तिथि नियत की है।

गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में कोटद्वार निकासी मुजीब नैथानी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें कहा है कि सरकार ने 2016 में प्रदेश के कई जिलों में जिला विकास प्राधिकरण (डीडीए) बनाए गए थे। सरकार ने 1 मार्च 2021 व जून 2021 में दो आदेश जारी कर इन क्षेत्रों में बिना नक्शे के निर्माण कार्य करने  की अनुमति दे दी।  याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार के ये दोनों आदेश नियम विरुद्ध है।सरकार ने ये आदेश कुछ लोगो को लाभ पहुचाने के लिए जारी किए है। इससे अवैध निर्माण कार्य बढ़ेंगे। इसका लाभ व्यक्ति विशेष को नही मिलेगा, जैसे अगर कोई सरकारी कर्मचारी मकान के लिए भूमि खरीदता है और उसे बनाने के लिए लोन लेता है तो बैंक उसे बिना नक्शे का लोन नही देगा। यह आदेश तो सरकार ने बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए पास किया है।

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि इस आदेश को निरस्त किया जाय, यह जनहित के लिए नही है। जबकि इससे पहले के प्राधिकरणों में बिना नक्शे के मकान बनाना अवैध माना गया था जिससे अवैध निर्माण कार्यो पर रोक लगी हुई थी। जनहित याचिका में राज्य सरकार, डायरेक्टर अर्बन प्लॉनिंग उत्तराखण्ड,चीफ एडमिनिस्ट्रेटर आवास एवम नगर विकास देहरादून, सेकेट्री डिस्ट्रिक्ट डेवलमेन्ट अथॉरिटी पौड़ी, डीएम पौड़ी व नगर निगम कोटद्वार को पक्षकार बनाया है।

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