बहन की शादी के लिए पहाड़ आया था माओवादी भाष्कर पांडे, चुनाव तक रुकने की थी प्लानिंग
उत्तराखंड का मोस्ट वांटेड माओवादी भाष्कर पांडे पहाड़ में एक तीर से दो निशाने साधने आया था। बहन की शादी के बाद आगामी विधानसभा चुनाव तक उसने पहाड़ में ही रुकने की बात कुबूल की है। वह चार माह पहले ही अल्मोड़ा आकर रहने लगा था।
दीप चंद्र बेलवाल, हल्द्वानी : उत्तराखंड का मोस्ट वांटेड माओवादी भाष्कर पांडे पहाड़ में एक तीर से दो निशाने साधने आया था। बहन की शादी के बाद आगामी विधानसभा चुनाव तक उसने पहाड़ में ही रुकने की बात कुबूल की है। वह चार माह पहले ही अल्मोड़ा आकर रहने लगा था।
अल्मोड़ा जिले के ग्राम भगरतोला, जागेश्वर निवासी भाष्कर पांडे के खिलाफ उत्तराखंड लोक संपत्ति विरूपण अधिनियम, 10\क्र/20 विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम व बढ़ोतरी धारा 436 का पहला मुकदमा दो फरवरी 2017 को राजस्व क्षेत्र सरना, तहसील धारी में दर्ज हुआ। इसके बाद इन्हीं धाराओं में आठ फरवरी 2017 को सोमेश्वर (अल्मोड़ा) और 23 अपै्रल 2017 को द्वाराहाट में दो और मुकदमे दर्ज हुए। अल्मोड़ा की एसओजी और पुलिस की गिरफ्त में आए भाष्कर पांडे से सोमवार देर रात करीब पांच घंटे तक पूछताछ हुई।
भाष्कर ने बताया कि वह चार महीने पहले दिल्ली से अल्मोड़ा पहुंच गया था। एक महीने तक अपने घर में रहा। इसके बाद दूसरे पर्वतीय क्षेत्रों में अपने करीबियों से मिलने पहुंच गया। उसके पहाड़ आने के पीछे सबसे बड़ी वजह उसकी इकलौती बहन की शादी थी। बहन की शादी में शामिल होना उसके लिए जरूरी था। शादी की तैयारियों के लिए वह जून में अल्मोड़ा पहुंचा। कुछ माह बाद बहन की शादी होनी है।
पुलिस पूछताछ में उसने यह बात भी स्वीकार कर ली कि वह आगामी चुनाव के बाद पहाड़ छोड़कर वापस जाने वाला था। चुनाव में सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए वह तैयारी कर रहा था। पर्वतीय क्षेत्र के लोगों से वह चुनाव का बहिष्कार करवाने के मूड में था। इसके लिए दीवारों पर रंगाई, पुताई व पोस्टर बनाने का काम शुरू होना था। भाष्कर से पूछताछ के बाद पुलिस भी मान रही है कि वह एक तीर से दो निशाने करने की प्लानिंग में था।
पहाड़ी थाप से दी किसान आंदोलन को धार
माओवादी भाष्कर पांडे भले ही दसवीं फेल है, लेकिन टैलेंट उसके अंदर कूट-कूट कर भरा है। किसी भी आंदोलन का नेतृत्व करने की क्षमता उसके अंदर शुरू से देखने को मिली। सांस्कृतिक कार्यक्रम के प्रति भी उसकी रुचि अच्छी खासी है। गाजीपुर बॉर्डर में किसान आंदोलन को उसने पहाड़ी थाप पर धार दी। पुलिस से जुड़े सूत्रों के अनुसार भाष्कर 2012 में उत्तरी बिहार चला गया था। जहां उसने केंद्रीय कमेटी के साथ मिलकर ट्रेनिंग ली थी। एक साल पहले वह किसान आंदोलन में पहुंच गया। गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन को उसने धार देना शुरू कर दिया था। ढपली बजाकर व कुमाऊंनी गाने गाकर किसानों का हौसला बढ़ा रहा था। किसानों के लिए कई गीत उसने खुद ही बनाए। भाष्कर 2007 से पहले भी पहाड़ के आंदोलनों को ढपली की थाप पर बल दिया करता था। इधर, गाजीपुर बॉर्डर पर भाष्कर ने कई किसान नेताओं से भी मुलाकात की थी।
चुनाव तक रुकने की थी प्लानिंग
डीआइजी नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि मोस्ट वांटेड भाष्कर पांडे चार माह पहले अल्मोड़ा पहुंच गया था। वह एसटीएफ और पुलिस के राडार पर था। बहन की शादी के बाद वह चुनाव तक पहाड़ में रुकने की प्लालिंग कर रहा था। उसने अपने काम का खाका तैयार करना शुरू कर दिया था। गाजीपुर बॉर्डर पर उसने किसानों के साथ मिलकर आंदोलन भी किया।