मनीषा कोइराला ने कहा, कैंसर के बाद जीवन के प्रति बदला नजरिया, अब हर पल का आनंद लेती हूं
संघर्ष जीवन का दूसरा नाम है। संघर्ष से ही व्यक्ति सीखता है और जीवन को बेहतर करने की कोशिश करता है। जब मुझे कैंसर का पता चला तो अंदर से पूरी तरह हिल गई थी।
नैनीताल, जेएनएन : संघर्ष जीवन का दूसरा नाम है। संघर्ष से ही व्यक्ति सीखता है और जीवन को बेहतर करने की कोशिश करता है। जब मुझे कैंसर का पता चला तो अंदर से पूरी तरह हिल गई थी। मौत सामने खड़ी थी। लेकिन मेरे सामने मेरा कॅरियर था मेरे सपने थे और उन्हें मुझे हर हाल में पूरा करना था। इस दौरान मुझे मेरे अपनों ने खूब सपोर्ट किया। घर-परिवार, दोस्त और इंडस्ट्री के लोगों ने पूरा सहयोग किया। इन लोगों ने मुझे कभी अकेलापन महसूस नहीं होने दिया। इन्हीं सबकी दुवाओं का असर रहा कि मैं इतनी गंभीर बीमारी से उबर कर आ सकी।
यह बातें कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से उबरकर एक बार फिर से बॉलीवुड में अपनी धाक जमाने वाली चर्चित अभिनेत्री मनीषा कोइराला ने कहीं। उन्होंने कुमाऊं फेस्टिवल ऑफ लिटरेचर एंड आर्ट्स संस्था के आयोजन हिमालयन इकोज में शिरकत की। पहली बार नैनीताल पहुंचीं मनीषा ने फेस्टिवल में प्रो. पुष्पेश पंत के साथ मंच साझा किया। पंत के सवालों का जवाब उनहोंने खुलकर दिया। कहा कि मनुष्य को जीवन को हर चुनौती का सामना करना चाहिए। यह सीखने की प्रक्रिया होती है। समय का सदुपयोग करने, मेहनत करने की सीख देते हुए कहा देश मे कैंसर सपोर्ट ग्रुप बनने चाहिए। सरकार के साथ सिविल सोसाइटी को कैंसर के प्रति जागरूकता के प्रयास और तेज करने होंगे।
बॉलीवुड ने सबकुछ दिया : मनीषा
मनीषा ने कहा कि बॉलीवुड ने उन्हें प्यार, पहचान और पोर्ट सबकुछ दिया। पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि कैंसर बीमारी ने जीवन जीने का नया तरीका सिखाया है। अब मैं जीवन के हर पल का आनंद लेती हूं। फेस्टिवल की आयोजक जाह्नवी प्रसाद ने मनीषा को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। बोली खुशनसीब हूँ कि फिल्म सौदागर, 1942 ए लव स्टोरी समेत अनेक फिल्मों में दिग्गज अभिनेताओं और निर्देशकों के साथ काम करने का मौका मिला।