मौसम की मार से आम की फसल बर्बाद, इस बार आधी फसल की बची उम्मीद
जब आम के पेड़ों पर बौर लदी थी तो बगानों को लेने वाले ठेकेदारों के चेहरे पर चमक साफ दिखाई देती थी। उन्हें उम्मीद थी कि इस बार बेहतर फसल होगी। पर उनके ये सारे अरमान मौसम से तो कुछ फसल में कीट लग जाने से धरे रह गए।
जागरण संवाददाता, रामनगर। फलों का राजा कहलाने वाले आम की मिठास कम ही लोगाें को मिलेगी। बगीचों को ठेके पर लेने वाले लोगो की माने तो इस बार पचास फीसद से भी कम फसल की संभावना है। जब आम के पेड़ों पर बोर लदी थी तो बगानों को लेने वाले ठेकेदारों के चेहरे पर चमक साफ दिखाई देती थी। उन्हें उम्मीद थी कि इस बार बेहतर फसल होगी और फलों का राजा उनको मालामाल कर देगा। पर उनके ये सारे अरमान कुछ मौसम के मिजाज से तो कुछ फसल में कीट लग जाने से धरे रह गए।
बताते चलेें कि रामनगर क्षेत्र में 900 हेक्टेयर में आम की फसल हुआ करती है। इसमें लगभग 18 से 20 हजार मीट्रिक टन आम होने की उम्मीद बागान मालिक लगाए हुए थे। पर अब सात से आठ हजार मीट्रिक टन होने की उम्मीद है।
बाग के ठेकेदार मो. इस्लाम बताते हैं कि इस बार आम के साथ कुदरत ने भी नाइंसाफी कर डाली। जिस प्रकार से पेड़ों में बौर लगे थे उस हिसाब से आम भरपूर होना चाहिए था। पर दिन प्रतिदिन बदलता मौसम इस फसल के लिए हानिकारक साबित हो गया। आधी तूफान भी बौर को नुकसान पहुंचाया।
मेंगो हाइपर कीट ने चौपट की फसल
आम का भुनगा कीट (मैंगो हाइपर) पेड़ो पर लगने से उत्पादन में भारी कमी आ गयी। लगातार आम की फसल गिरने से बगीचों को लेने वाले ठेकेदार परेशान है।
बागान मालिकों को दे चुके हैं एडवांस
कम फसल होने से ठेकेदारों की रात की नींद गायब है। दरअसल, बगीचे के स्वामी को एडवांस दे चुके है। उसे तो पूरा पैसा देना ही है अब चाहे नफा हो या नुकसान।
महानगरों की मांग पूरी कर पाना मुश्किल
दिल्ली, देहरादून, कोलकाता, मुंबई, हैदराबाद, मुरादाबाद, नोयडा, हरियाणा आदि स्थानों पर यहाँ के आम की मांग बहुत रहती है। पर इस बार कम फसल होने से इन शहरों की मांग शायद इस बार पूरी न हो सके। फल उद्यान प्रभारी एएस परवाल कहते है कि इस बार आम का ऑफ सीजन था। पर आंधी तूफान के साथ साथ मैंगो हाइपर रोग लग जाने से आम की फसल ओर सालो की तुलना में इस बार कम हुई है।
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