Navratri 2021 : बागेश्वर के बदियाकोट में मां भगवती ने किया था निशुम्भ दैत्य का वध, यहां है पौराणिक श्री आदि बद्री भगवती माता का मंदिर
Navratri 2021 मां भगवती ने निशुम्भ नामक दैत्य का वध इसी मंदिर के पास किया था जबकि शुम्भ दैत्य का वध सुमगढ़ नामक स्थान पर किया था। इसी कारण इसे सुमगढ़ कहा जाने लगा। पुराणों में वध कोट के नाम से वर्णित किया गया है।
बागेश्वर से घनश्याम जोशी। Navratri 2021 : कपकोट तहसील के सुदूरवर्ती गांव मल्ला दानपुर के बदियाकोट में श्री आदि बद्री मां भगवती का मंदिर स्थित है। मान्यता है कि चमोली के बंड क्षेत्र से देवी भगवती दो भाई छल्ली दानू और बल्ली दानू को छल कर लाई थी और इसी स्थान पर दर्शन दिए थे। वर्तमान में दानपुर में दाणू देवता की पूजा उसी तरह की जाती है। जैसे वाण देवाल क्षेत्र में लाटू देव को पूजा जाता है। दाणू देवता को भी लाटू की तरह नंदा देवी का गण माना जाता है। बदियाकोट में मां भगवती का पौराणिक मंदिर है और मन्दिर के प्रांगण में दाणू देवता की चैंरी है। यहां के पुजारी धामी कहलाते हैं।
मां भगवती ने निशुम्भ नामक दैत्य का वध इसी मंदिर के पास किया था, जबकि शुम्भ दैत्य का वध सुमगढ़ नामक स्थान पर किया था। इसी कारण बाद में इसे सुमगढ़ कहा जाने लगा। दैत्यों का वध करने के कारण ही इसे पुराणों में वध कोट के नाम से वर्णित किया गया है। कपकोट के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित बदियाकोट का भगवती माता मंदिर आदिकालीन है। इस मंदिर में हर साल नवरात्र में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
छलि-बलि थे दानू वंश के पूर्वज
आदिकाल में माता भगवती ने गढ़वाल में मृग का रूप धारण किया। मृग का शिकार करने के लिए छलि और बलि नामक दो पुरुषों ने उस मृग का पीछा किया। मृग का पीछा करते-करते वे बदियाकोट पहुंच गए। जब वह छोटी पहाड़ी पर पहुंचे तो वहां पर माता ने उन्हें कन्या के रूप में दर्शन दिए। उन दोनों पुरुषों को पूर्व का वृत्तांत बताते हुए उस स्थान पर सिद्ध पीठ की स्थापना करने और उनको पुजारी नियुक्त कर स्वयं अंतर्ध्यान हो गईं। कालांतर में छलि और बलि के छह-छह पुत्र हुए। बाद में उनको क्षेत्र में इतनी प्रसिद्धि मिली कि बार बदकोटी के नाम से उनकी पूजा होने लगी। यही लोग दानू वंश के पूर्वज भी माने जाते हैं। दानपुर क्षेत्र के बाछम, पोथिंग आदि स्थानों पर भी नंदा माता के मंदिर के साथ इन 12 भाइयों की पूजा भी की जाती है।
गर्भगृह में है सुरंग
कपकोट के ब्लॉक प्रमुख गोविंद दानू ने बताया कि बदियाकोट स्थित भगवती मंदिर के गर्भगृह से पहाड़ी के अंदर सुरंग है। यह सुरंग करीब डेढ़ सौ मीटर नीचे स्थित गधेरे में निकलती है। मंदिर में सोराग, किलपारा, बाछम, खाती, तीख, डौला, कुवांरी, बोरबलड़ा, पेठी और सापुली गांवों के लोग परंपरा के अनुरूप नंदाजात के समय चढ़ावा ले जाते हैं। राजजात में नंदा बदियाकोट की डोली वैदिनी कुंड में सम्मिलित होती है। 12 वर्ष में होने वाली नंदा राजजात में नंदा कुंड तक पैदल यात्रा छंतोली के साथ होती है।
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