लोक कला संरक्षण को आगामी सात सितंबर को कपकोट में होगा स्थानीय कलाकारों का चयन
देवभूमि की विलुप्त होती लोक कलाओं का संरक्षण करना है। प्रदेश स्तर पर संस्कृति समागम प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली टीम को 51000 रुपये द्वितीय टीम को 31000 और तृतीय टीम को 21000 रुपये की प्रोत्साहन धनराशि भी प्रदान की जाएगी।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर: अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष गणेश सिंह मर्तोलिया ने कहा कि अपनी संस्कृति अपनी अमूल्य धरोहर है। लोक कला, परंपरागत वाद्य यंत्रों को संजोए रखना जरूरी है। जिसके संरक्षण के लिए 23 और 24 सितंबर को देहरादून में विशाल संस्कृति सगागम आयोजित किया जाएगा। प्रदेश स्तर पर सहभागिता करने वाले कलाकारों के चयन के लिए आगामी सात सितंबर को केदोश्वर मैदान में विभिन्न ग्राम पंचायतों से आए वाद्य यंत्र कलाकारों का चयन होगा।
यहां जारी बयान में अपनी धरोहर सोसायटी के अध्यक्ष और एसटी आयोग के उपाध्यक्ष मर्तोलिया ने कहा कि पहाड़ की संस्कृति का संरक्षण किया जाना जरूरी है। ढोल, दमाऊ, हुड़का, मसकबीन आदि वाद्य यंत्रों का संरक्षण किया जाए। रिंगाल, लकड़ी आदि का करने वालों को भी प्रतियोगिता में शामिल किया जाएगा। जिसके लिए जिला स्तर पर प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएगी। जनपद स्तर पर प्रतिभाग करने वाले प्रतिभागियों को यात्रा भत्ता स्वयं देना होगा। उनके केवल भोजन की व्यवस्था होगी। जिला स्तर पर चयनित प्रतिभागियों को प्रदेश स्तर पर प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए यात्रा भत्ता, भोजन, ठहरने आदि की व्यवस्था आयोजक करेंगे।
मर्तोलिया ने कहा कि पहाड़ से लुप्त हो रही उत्तराखंड की लोककला को जीवंत रूप देने का प्रयास किया जा रहा है। वाद्य यंत्रों को बजाने वाले को पेशेवर रूप देकर उन्हें मान्यता दिलाई जाएगी। देवभूमि की विलुप्त होती लोक कलाओं का संरक्षण करना है। उन्होंने बताया कि प्रदेश स्तर पर संस्कृति समागम प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली टीम को 51,000 रुपये, द्वितीय टीम को 31,000 और तृतीय टीम को 21,000 रुपये की प्रोत्साहन धनराशि भी प्रदान की जाएगी।