बागेश्वर में जिला अस्पताल की लापरवाही से खतरे में पड़ी जच्चा-बच्चा की जान, एंबुलेंस में हुई डिलिवरी

बागेश्वर जिला अस्पताल की घोर लापरवाही से जच्चा-बच्चा की जान खतरे में पड़ गई। पहले प्रसव पीड़िता को अस्पताल में भर्ती किया फिर जब वह रात में गंभीर हो गई तो उसे अचानक रेफर कर दिया। 20 किमी दूर पहुँचने पर उसने एम्बुलेंस में ही स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 12:38 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 12:38 PM (IST)
बागेश्वर में जिला अस्पताल की लापरवाही से खतरे में पड़ी जच्चा-बच्चा की जान, एंबुलेंस में हुई डिलिवरी
बागेश्वर में जिला अस्पताल की लापरवाही से खतरे में पड़ी जच्चा-बच्चा की जान,एंबुलेंस में हुई डिलिवरी

बागेश्वर, जागरण संवाददाता : बागेश्वर जिला अस्पताल की घोर लापरवाही से जच्चा-बच्चा की जान खतरे में पड़ गई। पहले प्रसव पीड़िता को अस्पताल में भर्ती किया फिर जब वह रात में गंभीर हो गई तो उसे अचानक रेफर कर दिया। 20 किमी दूर पहुँचने पर उसने एम्बुलेंस में ही स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए उच्चाधिकारियों से कार्रवाई की मांग की।

बीते रविवार की देर शाम करीब पांच बजे संतोष प्रसव पीड़िता पत्नी को दर्द होने में जिला अस्पताल लाया। वहाँ पहुँचने पर पता चला कि स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ रीमा उपाध्याय कोरोना संक्रमित है। अस्पताल में तैनात स्टाफ ने कहा यहां इलाज नही होगा। गरीब संतोष को कुछ समझ में नही आया। उसने अस्पताल के सीएमएस डॉ एनएस बृजवाल से सम्पर्क किया। उन्होंने प्रसव पीड़िता को जिला अस्पताल में एडमिट कर दिया। कहा कि यहां और भी स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक है। अगर जरुरत पड़ी तो में भी मदद करुंगा। रात साढ़े 9 बजे प्रसव पीड़िता कविता की हालत बिगड़ने लगी। वहां मौजूद नर्स ने कहा कि बच्चा उल्टा है। सर्जरी होगी। यहां व्यवस्था नही है। बाहर ले जाओ। संतोष के हाथ पैर फूल गए। उसे समझ में नही आया वह रात में कहां जाएं। उसके बाद उसने सीएमएस को फोन कर सारी जानकारी दी। रात के साढ़े दस बजे प्रसव पीड़िता को रेफर कर दिया।

संतोष पत्नी की हालत देख रोने लगा। काफी मिन्नत की लेकिन किसी पर कोई असर नही पड़ा। उम्मीद खो चुका संतोष रात के समय उसे गंभीर हालत में एम्बुलेंस से हायर सेंटर अल्मोड़ा ले जाने लगा। 20 किमी दूर पहुँचने पर प्रसव पीड़िता को दर्द होने लगा। तभी गाड़ी रोक कर एम्बुलेंस में तैनात ईएमटी ने उसका सुरक्षित प्रसव कराया। प्रसव के बाद वह एम्बुलेंस चालक देर रात 12 बजे जच्चा-बच्चा को लेकर जिला अस्पताल लाया। उसने वहां तैनात स्टाफ़ से कहा बच्चा स्वस्थ्य है। माँ गंभीर है उसके टांके लगाने है। लेकिन उन्होंने वहां उसे भर्ती तक नही किया। काफी मिन्नत करने के बाद भी इलाज नही मिला तो एक बजे रात संतोष पत्नी को लेकर सीएचसी बैजनाथ ले आया। जहां गंभीर जच्चा को टांके लगाए गए।

लगातार हो रही लापरवाही, कार्रवाई कब होगी

जिला अस्पताल की घोर लापरवाही ने कई सवाल खड़े कर दिए। जब अस्पताल में व्यवस्था नहीं थी तो प्रसव पीड़िता को भर्ती क्यों किया गया। एक स्त्री रोग विशेषज्ञ संक्रमित है तो दूसरी कहां है। वह क्यों अस्पताल में मौजूद नही थी। रात में जब एम्बुलेंस में बच्चा हो गया तो उसके बाद अस्पताल में पहुँचने पर टांके तक क्यों नही लगाए गए। अगर इस दौरान जच्चा- बच्चा को कुछ हो जाता तो इसका जिम्मेदार कौन होता। क्या इस घोर लापरवाही कर जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई होगी। कई सवाल है जिनके जवाब अभी नही मिले। अगर ऐसा ही होता रहा तो भविष्य में ऐसी घटनाएं होते रहेंगी और जच्चा-बच्चा की जान हमेशा खतरे में रहेगी

चिकित्सकों व अन्य कर्मियों की हो काउंसिलिंग

कोरोना संक्रमण के दौरान फ्रंट लाइन वर्कर्स पर दोहरी जिम्मेदारी आ गयी है। उन्होंने अपने को सुरक्षित रखते हुए अपनी जिम्मेदारी निभानी है। इससे इन पर काफी दबाव है। समाज विज्ञानी डॉ रमेश बिष्ट ने कहा कि इनकी भी समय-समय पर काउंसिलिंग की जानी चाहिए। ताकि यह बेहतर काम कर सकें। महामारी का पूरा दबाव अस्पतालों पर है। ऐसे में किसी मरीज के साथ कुछ गलत व्यवहार होता है तो दिक्कतें बढ़ सकती है। खासकर सामान्य भर्ती मरीजों को। संक्रमितों का इलाज कैसे करना इसकी तो एसओपी है। बस संक्रमण से ही अपना बचाव करना है। मुख्य चिकित्साधिकारी, बागेश्वर डॉ बीडी जोशी ने बताया कि पूरा मामला गंभीर है। अस्पताल में किसी प्रकार की दिक्कत नही है। चिकित्सक संक्रमित है तो दिक्कत तो होगी ही। जानकारी लेकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

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