बागेश्वर में हत्या के मामले में पटवारी सहित 6 लोगों को आजीवन कारावास

हाईकोर्ट के आदेश के बाद जुलाई 2020 में अपर सत्र न्यायाधीश ने मामले की पुन सुनवाई की। अपर सत्र न्यायाधीश कुलदीप शर्मा की अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों को दोषी पाया और आजीवन कारावास की सजा व दस हजार का अर्थदंड से दंडित किया।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 08:52 PM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 08:52 PM (IST)
बागेश्वर में हत्या के मामले में पटवारी सहित 6 लोगों को आजीवन कारावास
पति को मारते-पीटते खींचकर बोड़िया नामक स्थान तक ले गए। मारपीट से मौत हो गई।

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : हत्या के एक मामले में अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने पटवारी सहित पांच अन्य लोगों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सजा के साथ दस हजार रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया गया है।

बीते पांच जनवरी 2005 में खीला देवी पत्नी राजू राम निवासी रेखाड़ी ने क्षेत्रीय पटवारी सहित कुल 7 लोगों पर पति की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई। रिपोर्ट में कहा कि उसके पति राजू राम को बिना कारण क्षेत्रीय पटवारी पप्पू लाल पुत्र बहादुर राम निवासी गोलना नागर, चपड़ासी गोविंद सिंह पुत्र बहादुर सिंह निवासी गिरचोला,  होमगार्ड लछम राम पुत्र चंचल राम निवासी रिखाड़ी, नारायण राम पुत्र शेर राम निवासी ओखलधार, पूरन चंद्र पुत्र बहादुर राम निवसी कपकोट, गोविंद प्रसाद पुत्र चंद्र राम निवासी बिखाती गांव, बाला सिंह पुत्र त्रिलोक सिंह निवासी फरसाली ने मारा पीटा। वह मेरे पति को मारते-पीटते खींचकर बोड़िया नामक स्थान तक ले गए। मारपीट से उसके पति की मौत हो गई। वह चिल्लाती रही लेकिन मुझे डराकर चुप करा दिया गया। पीड़ित की रिपोर्ट पर कानूनगो ने सभी आरोपितों पर आईपीसी की धारा 302 के तहत मुकदमा पंजीकृत कर दिया गया। इसके बाद मामले की जांच राजस्व पुलिस के बाद रेगुलर पुलिस व सीबीसीआइडी ने की। 

वर्ष 2008 में सत्र न्यायाधीश की अदालत ने सभी आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया था। दोषमुक्ति के निर्णय के बाद पीड़िता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद जुलाई 2020 में अपर सत्र न्यायाधीश ने मामले की पुन: सुनवाई की। अपर सत्र न्यायाधीश कुलदीप शर्मा की अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों को दोषी पाया और आजीवन कारावास की सजा व दस हजार का अर्थदंड से दंडित किया। सुनवाई के दौरान एक आरोपित बाला सिंह की मौत हो गई थी। मामले की पैरवी जिला शासकीय अधिवक्ता गोविंद बल्लभ उपाध्याय,  व चंचल सिंह पपोला ने की।

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