Kumaon University : जलवायु में होने वाले बदलावों की सूचक हैं लाइकेन, अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विशेषज्ञों ने साझा किए विचार
राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के सहयोग से दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन एवं कार्यशाला ऑनलाइन सम्पन्न हुई। तीन सत्रों में हुए कार्यक्रम का संचालन विभागाध्यक्ष प्रो वीना पाण्डेय व डॉ तपन नैनवाल ने किया I देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है।
जागरण संवाददाता, नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय जैव प्रौद्योगिकी विभाग में राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के सहयोग से दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन एवं कार्यशाला ऑनलाइन सम्पन्न हुई। तीन सत्रों में हुए कार्यक्रम का संचालन विभागाध्यक्ष प्रो वीना पाण्डेय व डॉ तपन नैनवाल ने किया I देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। वैज्ञानिक एवं शोधार्थीयों ने नवीन एवं उपयोगी शोध से इसके विभिन्न आयामों जैसे कि विविधता संरक्षण, कैटलॉगिंग, डाटा-बेस जनरेशन और इसके सतत उपयोग द्वारा राष्ट्र निर्माण की इस पहल में भागीदार बनने का संकल्प दोहराया I
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ दिलीप कुमार उप्रेती उपस्थित रहे I प्रोटीन जीनोमिक्स, अलबामा, यूएसए के डॉ मुदित वैद्य "फाइटोकेमिकल्स- प्रागैतिहासिक दवाएं" विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि कैसे सब्जियों और फलों के रसायन कैंसर कोशिका के विकास को रोकते हैं I विभिन्न ऐसे पौधों और उनके फलों का अध्ययन किया है, जो कैंसर-रोधी गतिविधियो को दिखाते हैं I
फ्लोरिडा विश्वविद्यालय यूएसए के डॉ स्वप्निल पांडेय ने एंटी-एजिंग और न्यूरोप्रोटेक्टिव पोटेंशिअल ऑफ़ एसीटोन एक्सट्रैक्ट ऑफ़ फ़्लवोपार्मेलिया कैपरेटा (एल) हेल इन सेनोरबडिटिस एलिगेंस" विषय पर बताया कि उन्होंने किस प्रकार लाइकेन के रसायनो का प्रयोग एंटी-एजिंग के क्षेत्र मे किया। राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर डॉ योगेश जोशी ने लाइकेन सिस्टमैटिक्स और पहचान के तरीके’ विषय पर बताया कि कैसे किसी नए लाइकेन कि पहचान की जा सकती है। डॉ डी के उप्रेती ने एक प्रतिभागी के सवाल का जवाब देते हुए बताया कि कैसे वैज्ञानिक किसी लाइकेन के नए होने कि पुष्टि करते हैं और उसका कोड आवंटित करते है। इस क्रम में अंतरिक्ष विभाग, इसरो, अहमदावाद के डॉ सीपी सिंह ने "जलवायु परिवर्तन अध्ययनों में लाइकेन का उपयोग" पर व्याख्यान देते हुए कहा कि लाइकेन जलवायु में होने वाले परिवर्तन का सूचक है। किस तरह वे इन लाइकेन का अध्ययन द्वारा जलवायु मे होने वाले दीर्घकालीन परिवर्तनों को बताते हैंI
द्वितीय सत्र में सीएसआईआर - एनबीआरआई, लखनऊ के डॉ बीएन सिंह ने ‘लाइकेन में जैव प्रौद्योगिकी की भूमिका-अग्रिम जैव चिकित्सा उत्पादों के विकास के लिए अनुसंधान’ विषय पर व्याख्यान दिया I जीबीपीएनआईएचआइ, एसआरसी, गंगटोक सिक्किम के डॉ देवेंद्र कुमार ने "हिमालय में बदलती जलवायु के संबंध में लाइकेन विविधता का आकलन" विषयक बताया कि हिमालय की जलवायु में किस तरह दिन प्रतिदिन बदलाव आ रहे हैं। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसन्धान संस्थान, लखनऊ के डॉ राजेश बाजपेयी ने "लाइकेन बायोडीटोरियेशन अध्ययन-विधि, अनुप्रयोग और संरक्षण" विषय पर व्याख्यान दिया।
तीसरे सत्र में डॉ राजेश बाजपेयी के संचालन मे विभिन्न छात्रों एस अल्बर्ट, विनोद कुमार, हिमानी तिवारी, डॉ बीना लोहिया, सचिन सिंह, प्रजेश तमांग, प्रदीप कुमार, शर्मा, अवधेश कुमार, भावना कन्याल , लता राणा एवं अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी आदि ने प्रतिभाग किया I प्रतिभागियों में भीमताल से प्रजेश तमांग, हिमानी तिवारी, भावना कन्याल ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त किया I समापन पर डॉ डी के उप्रेती ने डॉ संतोष कुमार उपाध्याय, प्रो ललित तिवारी, डॉ गीता तिवारी एवं समस्त टीम को कार्यशाला तथा कॉन्फ्रेंस की सफलता पर बधाई दी I